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Saturday, April 30, 2011

तो क्यों आना चाहते हो इस धंधे में

सौरभ द्विवेदी 2006-07 बैच के टॉपर रहे हैं. स्टार न्यूज में इन्टर्न के तौर पर पारी की शुरुआत. लाइव इंडिया और नवभारत टाइम्स के साथ खुद को निखारते हुए फिलहाल चंडीगढ़ में दैनिक भास्कर के समाचार संपादक. सिटी लाइफ और एजुकेशन भास्कर की टीम का नेतृत्व सौरभ के कंधे पर है.
छी, पत्रकारिता भी भला कोई धंधा है, प्रोफेशन कहते तो भी काम चल जाता। और हम तो इसे प्रोफेशन भी नहीं मानते। दुनिया की तस्वीर बदलने का एक औजार है ये।

तो चलिए पहले आप यही तय कर लीजिए कि आप ये एंट्रेंस एग्जाम क्यों दे रहे हैं। पत्रकार बनना है, क्यों, क्योंकि ग्रेजुएशन के बाद कुछ करना है, क्योंकि टीवी पर जब सूटबूट में बाबू जी किसी लड़के को देखते हैं, तो मुझे लगता है कि उन्हें मुझे देखना चाहिए। कि जब टीवी पर लहराते दुपट्टे के आगे कोई मुस्कराता चेहरा पूरे यकीन के साथ दिल्ली के गलियारों से, मुंबई की सड़कों से रिपोर्टिंग कर रहा होता है, तो मुझे लगता है कि ये लड़की मैं हूं। क्योंकि मीडिया में वो सब कुछ है जो हिंदुस्तान और खासतौर पर हिंदी पट्टी में किसी को चाहिए होता है – पावर, ग्लैमर और अगर ढंग से जम गए तो मनी भी।

आखिर ये कैसा आईआईएमसी पासआउट है, जो एंट्रेंस के बारीक पेच बताने के बजाय फालतू लंतरानी हांके जा रहा है। दरअसल मेरे पास बताने को और कुछ है भी नहीं। जो है वो कुछ इसी तरह की बेतरतीबी से सामने आएगा।

पहला और सबसे जरूरी सवाल

इस धंधे में क्यों आ रहे हो

ये सवाल वैसे तो इंटरव्यू में पूछा जाता है, मगर आपके जेहन में पहले से ही क्लीयर होना चाहिए। हो सकता है कि कोर्स पूरा करने के बाद तुम्हें फौरन प्लेसमेंट न मिले। हो सकता है कि तुम्हें लगे कि क्लासरूम में जो अच्छी बातें बताई जा रही हैं वो इंडस्ट्री में काम नहीं आ रहीं। हो सकता है कि कभी तुम्हें लगे कि मेरे बगल में बैड़ा कलीग, या मेरा बॉस मुझसे कम जानता है, मगर फिर भी मुझे उसके निर्देश तले काम करना होगा। हो सकता है कि जिस तरीके से दसेक साल पहले तक सिर्फ नेताओं को गालियां पड़ती थीं, उसी तरफ से तुम्हें भी उस कॉमन नाउन मीडिया का हिस्सा होने के कारण कुल्ला भरकर गालियां पड़ें।

तो फिर क्यों, आखिर क्या है। पइसा बोल नहीं सकते, क्योंकि ये सब जानते हैं कि हिंदी मीडिया में पइसा ठीक ठाक तो है, मगर इफरात में नहीं।

देशसेवा के लिए आ रहे हो, ये सोचते भी हो, तो भी मत बोलना, क्योंकि एग्जाम और इंटरव्यू में मजाक अच्छे नहीं माने जाते। पता नहीं सामने वाले का सेंस ऑफ ह्यूमर तुम्हारे मार्क्स पर हथौड़ा न मार दे।

तो फिर क्या जवाब दिया जाए। अगर यही सवाल मुझसे पूछा जाए तो, मैं इस धंधे में इसलिए आया क्योंकि यहां मजा आता है। हर दिन नया दिन, नई खबर, सब कुछ रफ्तार, एकुरेसी और क्रिएटिविटी की मांग करता, यहां डेली ट्वेंटी-टवेंटी की तरह कुछ दर्शनीय शॉट मारने हैं, यहां डेली रनरेट बेहतर करना है, यहां डेली क्लास डिवेलप करनी है।

पत्रकारिता सिर्फ नौ से पांच की नौकरी नहीं। तुम सड़क पर चल रहे हो, खाना खा रहे हो, मां को टीवी देखते देख रहे हो, सब्जी वाले को समझा रहे हो, या फिर कुछ नहीं तो सिर्फ बच्चे को टब से पानी गिराते देख रहे हो, तो तुम पत्रकार होने के नाते कुछ ऑब्जर्व कर रहे हो। तुम पूरे के पूरे ऐसे बन जाते हो, जैसे कभी तुम एक आदमी नहीं सिर्फ एक बड़ा सा कान हो, जो दुनिया की बारीक से बारीक आवाज को इतने शोर के बीच साफ सुन लेना चाहता है, तुम कभी सिर्फ नाक बन जाते हो, ताकि इतने धूल के बीच तुम सीधी सच्ची ऑक्सीजन खींच सको। तुम सिर्फ एक बड़ी बहुत बड़ी आंख बनना चाहते हो, जिससे कुछ भी कितनी भी बारीक सिम्तों में लिपटा हुआ सच छिपा न रह जाए।

हम इस धंधे में आना चाहते हैं क्योंकि जब बड़ी खबर आती है, तो एड्रेनिल रश तेज हो जाता है, क्योंकि जब पेज की डिजाइन का काम आता है, तो हमारा पिकासो किलकारियां मारने लगता है। हम इस धंधे में आना चाहते हैं क्योंकि हम चाहते हैं कि ये देश अपने दिन की शुरुआत हमारे लिखे-संवारे हुए कंटेंट से करे। हम इस देश की नाक, आंख, कान बनना चाहते हैं।

ऑलराइट तो इस लंबे स्पीचनुमा मोनोलॉग के बाद वक्त है कुछ जरूरी सलाहों का, नहीं ऊपर वाली भी सब जरूरी हैं, मगर कुछ तथ्यात्मक ज्ञान का

पाइंट्स में लिखता हूं ताकि रट्टा मारने में आसानी रहे।

- पत्रकार को सेक्स से लेकर सेटेलाइट तक हर चीज की बेसिक समझ होनी चाहिए।

- एग्जाम देना रॉकेट साइंस नहीं है। कॉपी मिलते ही एक सरकारी एलियन में तब्दील मत हो जाना। ये नहीं कि पेन पकड़ते ही जिस भाषा में बात करते हो, जिन जुमलों को इस्तेमाल करते हो उन्हें भूलकर, अखबारी या प्रतियोगिता दर्पण स्टाइल की इबारत लिखना शुरू कर दो। भाषा वैसी ही होनी चाहिए जैसी डेली बोलते हो, फ्लो हो, कृत्रिमता नहीं।

- ढाई घंटे का पेपर है, छोटे-छोटे सवाल शर्तिया फायदा देते हैं, इसलिए उन्हें पहले निपटा लो।

- क्योंकि बडे सवाल में बहुत अच्छा लिखोगे तो 15 में 12 मिल जाएंगे, एवरेज लिखोगे तो 8 मिल जाएंगे, मगर 5-5 नंबर के तीन सवाल भी गए, तो 15 नंबरों की भ्रूण हत्या हो जाएगी।

- जवाब में तथ्य सही लिखो और हां जवाब लिखने के दौरान अपने आसपास के सहज सरज उदाहरण लिखो, इससे एग्जाम्नर को भी समझ आता है कि कॉपी लिखने वाली फूल देवी, या भोले भंडारी नहीं हैं। मसलन, अगर सांप्रदायिकता पर लिख रहे हो, तो अपने शहर के बजरिया इलाके की छवि पर लिख सकते हो, माई नेम इज खान के शाहरुख के किसी डायलॉग के बारे में लिख सकते हो, या फिर क्रिकेट मैच के बाद के किसी स्टेटमेंट के बारे में भी। किस्सा कोताह ये कि जब सवाल देखो, तो उनके जवाब किताबी निबंधों में नहीं अपने आसपास खोजो। अपनी जिंदगी से जवाब उठाओगे, तो रट्टा मारने की जरूरत नहीं पड़ेगी, भाषा कम नहीं पड़ेगी।

- बाकी बातें अगली किस्त में, मगर वो तभी, जब आपको ये काम का लगे, वर्ना क्यों समय खराब करना, आपका और अपना भी।

- ऑल द बेस्ट, वो रोडीज वाले कहते हैं न. वेलकम इन हेल.


सौरभ द्विवेदी

Monday, April 25, 2011

Essential for you to absorb different viewpoints


Anshul Rana is a 2005-06 Radio TV Journalism pass out. He has worked with TIMES NOW, NDTV and now is a reporter for The Los Angeles Times. He can be contacted on anshulrana.84@gmail.com
If I want some quick and really passionate answers from all you aspiring journalists, I should simply ask 'what do you think of the ‘India against Corruption’ campaign?' All of you I am sure will give some really long views, comments and all of them would be full of passion. But now let me ask you all a different question. How do you think the Lokpal Bill is going to help the fight against corruption? Or do you think that the Jan Lokpal bill is a threat to the constitution and the vision of its writers. Oh and please give me an answer in about 500 words, if you would.

Okay so what I am trying to achieve here is not to tell you that these two questions are going to come this year. No one knows what will come. But I am trying to tell you the different aspects to the same issue. In short I am trying to tell you how to look at different issues so as to ensure that you answer them well.

I was just reading my blog for the entrance test last year and I realised that it still holds. So all of you, please read it before you go ahead with this one.

Previous Blog by Anshulji
Time to sip a cola & become a couch potato


Now that you have read it and have realised that IIMC entrance tests look at nothing but your general awareness and your ability to express your views lets go back to how I began.

All I asking you to do is to know the different sides of the same story. Generally the RTV question papers puts out a sentence and ask you to discuss or comment. And generally the word limit is small like 200 or 500 at the most.

Now given that you have such a small limit, you have to plan your answer well. In a discussion or a comment question it is necessary to have an introduction where you introduce your thought process to the examiner. Then there comes the body where you present the meat of your arguments and last comes the conclusion.

In this kind of a scenario be sure that you cover as many points as possible but in no case should you leave a point not explained. That is to say if you have picked up three main points in the body then explain them well rather than picking up 5 points and not explaining them at all. Keep them short and to the point and no need for repetition at all. Remember the examiner is looking at your ability to express your awareness. In ‘discuss or comment’ question always touch the pros and cons of a topic. In the ‘India against Corruption’ issue you should be aware of the criticism of the so called movement as well, regardless of where you stand on the topic.

In the 2010 question paper the first question is asking you to critically analyse the media coverage of some issues. These kind of questions are very common for the entrance exam. You can’t fluff on these. You have either watched the coverage or you have not. So one big advice, if you have not already started doing it, watch all the main news channels starting now. To form opinions with a strong foundation you should be reading all the opinions and editorial being written across newspapers, magazines etc. It is essential for you to absorb different viewpoints.

When you critically analyse something the examiner is asking you to look at a situation and say what you feel. In this case you have to mention what you liked or disliked about the coverage of issues. Again in the intro mention your main stand on what you felt about the coverage, was it balanced, was it sensationalist, was it subdued. Then explain why you feel so, give examples to back your analysis.

Remember it’s not a difficult exam, all you need to do is to sit back, watch tv, read news and be aware of all that happened in the last year. Be sure to read about all people, events, and controversies in the news in the last year. 2G, Commonwealth Games, India’s World Cup win, India against Corruption campaign, Adarsh society scam and the recent events in the Middle East come to my mind in less than a minute. But then if you are a true aspiring journalist and are a news junkie you already will know what I am talking about.


Wish you all the best of luck
Anshul Rana

Saturday, April 23, 2011

Remembrance meeting for Nirupama Pathak on 29th April at IIMC Campus

A Remembrance meeting is being held on the occasion of 1st Death Anniversary of Nirupama Pathak on 29th April, 2011 at 6.00 P.M at IIMC Campus. Join us and pray for peace to her soul.


Justice for Nirupama Campaign

Wednesday, April 20, 2011

KEEP IT SIMPLE SILLY

Ramina Haorokcham is Group Head, Maxus (Group M). Ramina is a 2005-06 Ad-PR pass out. Intrigued by the world of “Brands”, Ramina has been setting the strategic objectives of the brand in the media and communication platforms. She has worked in some relevant Brands like Mother Dairy, GSK (Glaxo Smith Kline) products, Uninor, Future-Groups and currently working in Dabur.
The IIMC Entrance exam was really one of the best written exams I have given in my life because I was writing everything what I was watching and reading every day. On the exam day, I was smiling and writing about my favorite novel “Erich Sehgal’s Love Story “and was narrating how a lead female character in the daily Soap inspired me. It was fun...

No Doubt, Cracking Ad& PR Exam of IIMC is not rocket science project but you still can’t ignore it. It involves lots of reading (newspaper, Mag, Fiction and Non Fiction Books), watching TV (From news channel to GEC to niche channels), listening to radio and of course internet (now in this scenario).
*GEC channels: Star Plus, Colors, and ZEE TV etc...
*Niche channels: Discovery, TLC, NDTV Good times etc...)

Luckily I was preparing for MBA entrance exam so for me no new additional preparation was needed for IIMC. I was reading 3 Dailies (Hindu, HT, TOI), Business Mag ( Business world, Business Today), News Channel, Business Channels (NDTV Profit and CNBC TV 18) and yah radio was for music when I get bored but it really helped ‘cos there was a question on “Describe an ad you like most in radio, and ad script for radio?”

So anything and everything can be useful when you know how to use and portray it.(And of course you can’t ignore all the print ads, TV ads ,Internet ads, radio ads ,outdoor ads ..Welcome to the world of advertising)

Bottom-line: Keep yourself updated (through any mediums- TV, Print, Radio, and Internet) in Socio-economic Related topics, Politics, IT, Entertainment, Current scenario etc... And express your thoughts in simple and creative way.

Suggestion:
Newspapers: HT/TOI/Hindu (Read all the editorials, and especially HT Sunday – I used to love Face off by Vir Sanghvi and Sunday sentiments by Karan ThaparJ) And don’t forget to see ads on First Page right hand side, 3rd page, Back page. Observe the Brands and build your opinion or how the ads can be more interesting be if you have to recreate the ads. It works.

Magazines: Business World/Outlook Business/ Business Today (Case study and In Depth Sections in Business World is really useful)

TV: Watch Soaps, Documentary, Non Fictions (Don’t forget to notice ads in between the breaks and tagline and proposition of the Brands)

Books: Fiction/ Non Fiction (Better to start an exercise of writing a 1page summary of what actually you feel and your thoughts, opinions after reading a book .It helps)

Online: http://businesstoday.intoday.in, http://www.businessworld.in, www.afaqs.com, www.exchange4media.com

For any queries contact me: rhaorokcham@gmail.com


Best Wishes: Welcome to the world of advertising….
Ramina Haorokcham

Question HJ-EJ/ 2010/ JPEG File




Question RTV 2010/ JPEG File



Question ADPR 2010/ JPEG File




Important Dates for Entrance Exam for 2011-12

INDIAN INSTITUTE OF MASS COMMUNICATION, NEW DELHI


Important Dates for Entrance Exam for 2011-12


•Sale of application forms begins from 1 April 2011
•Sale of application forms closes 25 April 2011
•Last date of receipt of application forms 25 April 2011
•Entrance Exam (except Oriya Journalism) 24 May 2011
•Entrance Exam Oriya Journalism 25 May 2011
•Interview Dates Last week of June/ First week of July

REQUEST: Contribution to IIMC Entrance Test Blog

Dear Friends,

Like previous years, We are posting some new and relevant stuffs at our Entrance Test Blog ie http://www.iimccounselling.blogspot.com/ . It is obvious that it can't succeed without your active help and contribution. So, We would like to request you again for contribution to this blog.

Please write anything, you wish, which could help a candidate in preparation for written or GD or Interview during entrance test process of EJ/ HJ/ Ad & PR/ RTV or Oriya Journaism department.

We would appreciate if you provide a photograph with few lines about yourself with requested articles. Special request to Oriya Journalism Alumni to provide scanned copy of their article for the convenience of posting.

Entrance test is scheduled for next month so we need it quickly and urgently. Waiting for you articles....eagerly....

Mail at alumni.iimc@gmail.com or riteshiimc@gmail.com marking the department name only in subject line, it is written for.


--
Thanks.
IIMC Alumni Association.
Blog:- http://iimcaa.blogspot.com/
http://www.iimccounselling.blogspot.com/
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