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Tuesday, April 20, 2010

... तो कोई नहीं है रोकने वाला!

संदीप कुमार आईआईएमसी की हिन्दी पत्रकारिता के छात्र रहे हैं. 2005-06 बैच के टॉपर संदीप दिल्ली पहुंचने से पहले प्रभात खबर के साथ काम कर चुके थे. पहला ब्रेक स्टार न्यूज में. फिलहाल आजतक में.




2005 के वो दिन याद आते हैं जब मुझे आईआईएमसी के एंट्रेस देने थे। दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर झारखंड के मेरे छोटे से कस्बे में आईआईएमसी का नाम किसी ने शायद ही सुना था। मुझे भी झटके में आईआईएमसी के बारे में जानकारी मिली थी और फिर पता भी नहीं चला कि कैसे झटके में ही यहां पहुंच गया। कोई प्रोपर तरीके से तैयारी नहीं की थी क्योंकि एंट्रेस पेपर का कोई फॉर्मेट-फॉर्मूला मुझे पता ही नहीं था। बस अखबारों-पत्रिकाओं से पुराना नाता था, उसे बरकरार रखा और लिखने-पढ़ने का क्रम जारी रखा। यहां ये सब बताने का मकसद सिर्फ इतना है कि आईआईएमसी पहुंचना कोई बहुत बड़ी बात नहीं। बस थोड़ा अलर्ट रहने की जरूरत होती है। खबरों की दुनिया से वास्ता रखना होता है।

पिछले कुछ सालों के आईआईएमसी के जर्नलिज्म के एंट्रेस पेपर का कंटेंट एनालिसिस किया जाए तो एक फॉर्मेट समझ में आता है। जरूरी नहीं कि ये कोई यूनिवर्सल फॉर्मेट ही हो लेकिन इसपर एक नजर मार लिया जाए तो बहुत घाटे का सौदा नहीं रहेगा। पिछले सालों के पेपर के कंटेंट एनालिसिस के आधार पर हम जर्नलिज्म के पेपर को चार भागों में बांट सकते हैं।

करेंट अफेयर्स
आईआईएमसी का इम्तिहान पत्रकारिता प्रशिक्षण के लिए होता है इसलिए हर परीक्षार्थी से ये उम्मीद की जाती है कि वो देश-दुनिया में हो रही घटनाओं-परिघटनाओं से परिचित हो। एंट्रेस पेपर का एक बड़ा हिस्सा करेंट अफेयर्स से ही जुड़ा होता है। अगर हम करेंट अफेयर्स के हिस्से को थोड़ा और विस्तार से देखें तो इसके भी कुछ उपभाग हो सकते हैं।

शॉर्ट क्वेश्चन
देखा जाता है कि कुछेक हस्तियों, घटनाओं, जगहों का नाम देकर पूछा जाता है कि आखिर ये सुर्खियों में क्यों थे। ऐसे करीबन 10 सवाल पूछे जाते हैं। दो-दो नंबर के जिन्हें 25-30 शब्दों में लिखना होता है। जाहिर तौर पर इसे अच्छी तरह से लिखने के लिए जरूरी है कि आप हर खबर, हर घटना और हर चर्चित शख्सियत के बारे में अपडेट रहें। यहां आपको विस्तार से चीजें नहीं बतानी होतीं बल्कि कम शब्दों में ज्यादा बेहतर बताना होता है इसलिए यहां लफ्फाजी नहीं चलेगी। सीधे-सीधे टू-द-प्वाइंट जवाब देना होगा। और अगर आपने सभी 10 सवाल कर लिए और बेहतर तरीके से कर लिए तो यकीन जानिए कि आप अच्छे मार्क्स इस सेगमेंट में ला सकते हैं।

राष्ट्रीय मुद्दे
करेंट अफेयर्स पार्ट में ये भी एक बड़ा मसला है। देशभर की बड़ी गतिविधियों पर सवाल होते हैं और ये ज्यादा मार्क्स के लिए होते हैं। इनके जवाब आपको 400-500 शब्दों में भी देने होते हैं। इन दिनों नेशनल इश्यू में आप देखें तो महिला आरक्षण बिल, नक्सलवाद की समस्या, राइट टू एडुकेशन जैसे अहम मुद्दे सामने आ रहे हैं। आपसे इन मुद्दों के बारे में पूछा जा सकता है। सवाल सीधे-सीधे भी हो सकते हैं या घुमा-फिराकर भी पूछा जा सकता है। आपके विचार जाने जा सकते हैं या फिर किसी मसले के पक्ष-विपक्ष या फिर दोनों पहलुओं के बारे में पूछा जा सकता है।

राजनीतिक मुद्दे
राजनीतिक मुद्दों पर भी अहम होते हैं और इसपर भी पूछा जा सकता है। राजनीति का अपराधीकरण और अपराध का राजनीतिकरण से लेकर तात्कालिक राजनीतिक मुद्दों पर भी सवाल हो सकते हैं। अगर हालिया घटनाक्रम पर नजर डालें तो बीजेपी में नेतृत्व परिवर्तन से लेकर ‘क्रिकेट पॉलिटिक्स’ तक पर जानकारी मांगी जा सकती है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्दे
आईआईएमसी के इम्तिहान में जितना जोर राष्ट्रीय मुद्दों पर होता है उतना ही अंतरराष्ट्रीय मसले भी अहम होते हैं। दुनिया में घटने वाली बड़ी-बड़ी परिघटनाओं से लेकर दो देशों के बीच संबंधों को लेकर भी सवाल हो सकते हैं। ज्यादा जोर भारत और पड़ोसी देशों और एशियाई मुल्कों की स्थितियों-परिस्थितियों पर भी होता है। भारत-अमेरिका संबंधों से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के सम्मेलनों-बैठकों पर भी सवाल पूछे जाते हैं।

मीडिया-विमर्श
आप देश के शीर्ष मीडिया संस्थान में दाखिला लेना चाह रहे हैं और मीडिया के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाने जा रहे हैं इसलिए लाजिमी है कि मीडिया से संबंधित हलचलों से आप रू-ब-रू रहें। हर साल मीडिया से जुड़े कुछ-ना-कुछ सवाल होते हैं जिसके मार्फत आपकी मीडिया से संबंधित समझ को परखने की कोशिश की जाती है। इन दिनों ‘पेड न्यूज’ की खूब चर्चा है सो इसी तरह से मीडिया से जुड़े मुद्दों पर आपकी राय जानी जा सकती है। इसलिए मीडिया गतिविधियों पर नजर रखें।

पारंपरिक-क्रिएटिव
पत्रकारिता एक तरह से लिखने का धंधा है। आप कैसा लिखते हैं ये भी एंट्रेंस में जानने की कोशिश की जाती है। ऐसे सवाल हल्के नजर आते हैं लेकिन इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। भाषा, सोच-समझ सबका दर्पण होता है ये सेक्शन। जैसे आपसे पूछा जा सकता है कि आपने जर्नलिज्म फील्ड ही क्यों चुना? आपसे आपके पसंदीदा समाचार-पत्र, चैनल, टीवी शो के बारे में भी पूछा जा सकता है। कई बार आपसे आपके संस्मरण भी पूछे जाते हैं मसलन ट्रेन यात्रा, किसी हादसे का आंखों देखा हाल। ऐसे सवालों को लिखने के लिए जरूरी है कि आप लगातार घर में प्रैक्टिस करें। कुछ-ना-कुछ लिखते रहें। कम-से-कम दिनभर की डायरी ही सही।

अनुवाद-संक्षेपण
हाल-फिलहाल से ये अंतिम भाग के तौर पर जर्नलिज्म के पेपर में पूछा जाता है। एक पैसेज देकर या तो उसका हिन्दी में अनुवाद करना होता है या फिर अंग्रेजी में उसका संक्षेपण करना होता है। ये करीब 20 मार्क्स का होता है इसलिए इसकी उपेक्षा करना खतरे से खाली नहीं। इस पार्ट को बेहतर तरीके से डील करने के लिए लगातार अभ्यास की जरूरत है। इसलिए अंग्रेजी अखबार को लेकर हर रोज अनुवाद करने की प्रैक्टिस करें। इससे मीडिया की शब्दावली से आप परिचित भी होते चले जाएंगे और पेपर देते वक्त आसानी होगी। चूंकि पैसेज बड़ा होता है और उसे कम करके लिखना होता है इसलिए जरूरी है कि उसे दो-तीन बार पढ़कर ये तय कर लें कि किस भाग को लेना है और किस भाग को छोड़ना है। सीधे-सीधे शब्दों के अनुवाद की जरूरत नहीं होती है बल्कि भाव-अनुवाद पर जोर देना चाहिए। मार्क्स के हिसाब से चूंकि ये सेक्शन बेहद अहम है इसलिए इसे आखिरी में हल करने की भी कोशिश नहीं करनी चाहिए क्योंकि आखिरी में आपके पास वक्त कम होता है और आप हड़बड़ी में गड़बड़ी भी कर सकते हैं।

यहां एक बात ये जरूर कहना चाहिए कि आईआईएमसी का एंट्रेंस पास करने के लिए जितना जरूरी पढ़ना है उससे कहीं ज्यादा जरूरी लिखना है। केवल दो घंटे के इम्तिहान में आपको पच्चीसियों सवाल के जवाब लिखने होते हैं इसलिए आप गांठ बांध लें कि जितना पढ़ेंगे उससे कहीं ज्यादा लिखेंगे।

ऐसा किया तो फिर रोकेगा कौन?

शुभकामनाओं के साथ,
संदीप

2 comments:

केशव कुमार said...

thanks .....

Unknown said...

sir, please give some selected topics from current affairs that need attention