विकास त्रिवेदी | हिंदी पत्रकारिता विभाग में 2012-13 बैच में आए थे. इस समय इतना ही काफी है. बाकी नाम बनाने के लिए विकास कार्य प्रगति पर है. |
अच्छा एक बात बताइए, डर लग रहा है क्या. अगर हां तो अच्छी बात है. इंटरव्यू से
पहले डरना जरूरी है. डरने से कामचोरी नहीं आती और दिमाग दौड़ता रहता है. इंटरव्यू
भेदने के लिए दिमाग का दौड़ना बेहद जरूरी है. बस इस डर को सिर्फ तैयारी करने तक ही
रखिएगा. जिस दिन इंटरव्यू देने जा रहे हों उस दिन डर को शीशे में शक्ल देखने के
साथ ही घर छोड़कर आइएगा.
आईआईएमसी में भी इंटरव्यू इंसान ही
लेते हैं बस इसे ध्यान में रखिएगा. अब बात कि काका अंदर बोलेंगे क्या ? हां तो उसके लिए भी ज्यादा लोड लेने की जरूरत नहीं है. 4-5
महीने से तो अखबार कुछ ज्यादा ही चाट रहे
होंगे. देश-दुनिया की बड़ी घटनाएं आपको पता ही होंगी. नहीं हैं तो पता कीजिए.
सबसे महत्वपूर्ण आपकी सीवी है. उसमे अब
तक जो उपलब्धियां और कर्म दर्ज हैं, मसलन कहां
के हैं, किन विषयों में क्या पढ़ाई की है.
किस-किस को पढ़ा है और क्या-क्या पढ़ा है. जिस अखबार को ज्यादा पढ़ते हैं उसका
एडिटर कौन है. लोकसभा चुनाव, इराक,
अमेरिका, मोदी, केजरीवाल,
कांग्रेस, तेलंगाना, कश्मीर,
भारत-पाक, ISIS,
यूक्रेन, मनमोहन सिंह, नए मंत्री,
बिहार, गुजरात विकास, अवार्डस,
मोहसिन शेख, सोशल मीडिया, रेप और
यूपी. इन सभी को 10 के पहाड़े की तरह
माथे में उतारकर इंटरव्यू वाले कमरे में प्रवेश करिएगा तो ज्यादा मगजमारी नहीं
करनी पड़ेगी. इंटरव्यू वाले दिन के अखबार की लीड, एंकर, संपादकीय
पढ़ेंगे तो अच्छा रहेगा.
अगर इंटरव्यू में इससे बचने का कोई
मारक उपाय आपके दिमाग में आया हो तो ट्राई न करें. बोर्ड में लोग एवैई नहीं बैठे
हैं. इसके अलावा अपनी कुंडली के सारे ग्रह पता होने चाहिए. जैसे किस इलाके के हो, सांसद, विधायक, नेता,
अभिनेता, खिलाड़ी, साहित्यकार, कोई अवार्ड विजेता अगर उधर से है तो कौन है, सब ज्ञान हो तो इंटरव्यू में
भौकाल सेट करने में आसानी रहेगी. हाल फिलहाल में देखी गई फिल्म की पूरी राम कथा
जान लीजिएगा. मूड मस्त रखिएगा. एकदम
बिंदास.
अब बात जरा लुक-शुक की. मिथुन लुक
में जाने का कष्ट न करें वरना कैंडी क्रश की तरह किसी से लाइफ मांगनी पड़ेगी. शरीफ
से बनकर जाइएगा. लगे कि पत्रकार
जैसा कुछ बनना चाहते हैं. वैसे ध्यान रहे कि ज्ञान आपको उस लाल दरवाजे में इंट्री
दिलवाएगा ना कि फॉर्मल कपड़े और चमड़े वाले काले जूते.
दबाकर घूरते हुए,
आंखों में आंखें डालकर जवाब दीजिएगा (ऐसा ना
लगे कि दुश्मन को देख रहे हैं). एक बात और यार, प्लीज़ झूठ मत बोलना. हमेशा अपनी
कमी हंसते हुए स्वीकार करनी चाहिए. इस विश्वास के साथ कि ये अब लाइफ में रिपीट
नहीं होगी. पत्रकार क्यों बनना चाहते हो, ये सवाल तो पक्का होगा. प्लेसमेंट तक के
लिए एक ढंग का जवाब सोच लीजिएगा. जवाब पूछने वाले के हिसाब से बदला भी जा सकता है.
शर्तें लागू.
बस तो क्या है. लिखित परीक्षा तो क्वालीफाई कर ही ली है. इसी विश्वास के साथ
घुस जाइए इंटरव्यू रूम में. उम्मीद और दुआ है कि अगर आप में लगन और क्षमता है तो
जल्दी ही आईआईएमसी में मुलाकात हो. जब मुलाकात हो तो सर ना बोलना.
बुजुर्ग टाइप का फील होता है. तब तक के लिए
गुड लक फ्यूचर आईआईएमसिएन. आईआईएमसी आपका हो.
शुभकामनाएं.
4 comments:
CV banake bhi le jana hai interview mai?
katai sahi likha h ladke ne...
jo kuch isme bataya h wo to padh hi rhe honge...ek bar is article ko b padh lena doston....
jisne blog padh liya samjho uski entry pakki.....
Patrakar kyun banana chahte ho..?? Plz apne anubhavo ke lihaz se ek bar is Q. ka sadha hua Ans. janana Chata hu...Kripaya Bataye ..!
6 july ko interview hai..!
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