रंजीत रंजन रेडियो एवं टीवी पत्रकारिता विभाग के 2010-11 बैच के छात्र रहे हैं. उन्हें अपने बैच का प्रसार भारती पुरस्कार भी मिला था. फिलहाल आकाशवाणी, नई दिल्ली में समाचार संपादक. |
साक्षात्कार के लिए चयनित साथियों से
ये कहना चाहता हूं कि साक्षात्कार के लिए आत्मविश्वास से लबरेज होकर जाएं. यह सवाल
दिमाग में नहीं आने दें कि अगर चयन नहीं हुआ तो क्या होगा? क्योंकि जैसे ही यह सवाल आपके दिमाग में आएगा, आत्मविश्वास डगमगाएगा और साक्षात्कार के दौरान आप सवालों को लेकर घबराहट
महसूस करेंगे.
हम जब भी साक्षात्कार के लिए जाते
हैं तो हमारे दिमाग में यह बात होती है कि साक्षात्कारकर्ता हमारी जानकारी को और
जानकारी की गहराई को मापने की कोशिश करेगा. जबकि ऐसा नहीं है. लिखित परीक्षा पास
करके आप यहां पहुंचे हैं यानी देश-दुनिया और पत्रकारिता की जानकारी आपको है. अब आप
उन चीजों की मौखिक व्याख्या किस तरह करते हैं, जो बातें आप करते हैं उसके पक्ष या विपक्ष में क्या तर्क आप पेश करते हैं,
और जो भी करते हैं वो कितने आत्मविश्वास के साथ करते हैं,
इसी की परीक्षा साक्षात्कार में होती है.
अगर किसी सवाल का जवाब आपके पास नहीं
है तो शालीनता से स्वीकार कर लें. यह दिखाने की कोशिश न करें कि आपको आता है मगर
आप बयां नहीं कर पा रहे हैं या अभी-अभी भूल गए हैं. और हां, इस सवाल का जवाब तो बिल्कुल अच्छे से सोचकर जाएं कि आप पत्रकार क्यों बनना
चाहते हैं?
अभी दो-तीन दिन का समय आपके पास है
तो एक सप्ताह के अखबारों को अच्छे से पढ़ें और उसका विश्लेषण करें. ये तो बताना
बहुत मुश्किल है कि आप क्या-क्या पढ़ें फिर भी केन्द्र की नई सरकार के सामने
चुनौतियां, नई सरकार से उम्मीदें, उपराष्ट्रपति की चीन यात्रा, विदेश मंत्री की बांगलादेश यात्रा, प्रधानमंत्री की भूटान यात्रा, दिल्ली
विश्वविद्यालय नामांकन विवाद, साईं पूजा विवाद
जैसे कई विषय हैं जिस पर आप गहराई से नजर रख सकते हैं.
चलते-चलते बस इतना कहूंगा कि आप एक
अच्छे पत्रकार हैं तभी आपको साक्षात्कार के लिए बुलाया गया है. आत्मविश्वास बनाएं
रखें.
शुभकामनाएं.
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