लीजिए, आपने बड़ा कदम तय कर लिया. अब छोटा सा कदम बाकी है.
इंटरव्यू की चिट्ठी हाथों में आते ही सपने उड़नखटोले पर बैठकर सात समंदर पार की सैर करने लगते हैं. इंटरव्यू की तारीख इस बीच कब आ जाती है, पता भी नहीं चलता. इसलिए जरूरी है कि इस दौर में सपने तो देखे जाएं लेकिन मन लगाकर तैयारी भी कर ली जाए.
चाहे इंटरव्यू हो या ग्रुप डिस्कशन, इन बातों पर खास ध्यान देना चाहिएः-
# बोली-अबोली-दोनों बातें गंभीरता से कही जाएं. अबोली यानी वे चीजें जो आप अपनी जुबान से तो
नहीं बोल रहे लेकिन आपकी बॉडी लैंग्वेज उसे कह रही है. इसलिए शारीरिक-हाव-भाव पूरी तरह से आपके नियंत्रण में रहने चाहिए. इसके लिए नाटकीय तैयारी न करें बल्कि वास्तविक रूप से भी
खुद को पूरी तरह से सहज रखने की आदत डालें.
# याद रखें कि आप किसी वाद-विवाद प्रतियोगिता में नहीं आए हैं. जीडी के दौरान जो आपके साथ हैं, वे भी आप ही की तरह यहां एक सीट पाने की कोशिश में हैं और जो आपका इंटरव्यू ले रहे हैं, वे आपसे काफी सीनियर हैं. इसलिए अपनी बात को सम्मान के साथ ही कहें.
# अगर आपसे राजनीति से जुड़ा कोई सवाल पूछ लिया जाता है तो आप अपनी निजी राय न थोपें. किसी पार्टी विशेष की गुणगान सिर्फ इसलिए न करने लगें क्योंकि आपका उससे कोई नाता है. भावी पत्रकार से निष्पक्ष होने की उम्मीद की जाती है, किसी पार्टी का प्रवक्ता बनने की नहीं.
# जाहिर तौर पर आप उस दिन की कुछ अखबारें पढ़ कर जाएं (सिर्फ एक ही अखबार तक खुद को समेट लेना बिल्कुल सही नहीं होगा). बेहतर होगा कि तैयारी के इस दौर में पिछले एकाध महीने के 3 से 4 समाचार पत्रों के संपादकीय आप ठीक से पढ़ लें.
# एक और बात. संस्थान के बुनियादी तथ्य जान कर ही जाएं. अगर आप हिंदी पत्रकारिता के लिए इंटरव्यू दे रहे हैं तो ये न कहें कि चूंकि आप आरटीवी की परीक्षा में पास नहीं हो सके हैं, इसलिए आप यहां आ गए हैं. अगर आप को लगता है कि आप हिंदी या अंग्रेजी प्रिंट के कोर्स के साथ न्याय नहीं कर पाएंगे तो फिर आपको इंटरव्यू देकर किसी और का हक नहीं लेना चाहिए.
# अगर अपनी सीट पक्की करने के लिए आपने कोई दूसरी तरकीब अपनाई हो तब भी पूरी तरह से सहज रहें क्योंकि यह कतई जरूरी नहीं है कि किसी दूसरी वजह से ही आप चुन लिए जाएं. बल्कि ऐसी स्थिति में आपका जरूरत से ज्यादा आत्मविश्वास ही आपकी नैया डूबो सकता है.
दरअसल इंटरव्यू की शुरूआत से अंत तक अगर आप खुशमिजाज और सहज-सरल बने रहेंगे तो आपके लिए अपनी जगह बनाना आसान हो जाएगा. यह याद रखिए कि जो सादा होता है, एक उम्र के बाद अक्सर वही भाता है और जो लोग आपका इंटरव्यू लेंगें, वो उसी उम्र और अनुभव के करीब होंगे( इसका मतलब उम्रदराज होना नहीं बल्कि मानसिक रूप से परिपक्व होना है).
इसलिए मुस्कुराइए और अपने सपनों को अपनी आंखों में भरकर इंटरव्यू का सामना करने चले जाइए.
शुभकामनाएं
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