अंकित रॉय रेडियो एवं टेलीविजन पत्रकारिता विभाग के 2012-13 बैच के चौथे टॉपर हैं. कैम्पस प्लेसमेंट से IBN 7 न्यूज़ चैनल पहुंचे हैं. |
मैंने खुश होने की बात कही क्यूंकि मैं तो सिर्फ इसी बात से खुश हो गया था कि मै साक्षात्कार के राउंड तक पहुंच गया हूं. खैर वो सब पुरानी बातें हैं. फिलहाल हम आप सबकी बात करते हैं. मै जानता हूं कि यहां तक पहुँचने के लिए आपने बहुत मेहनत की है और इतनी दूर तक पहुंचने के बाद आप खाली हाथ बिल्कुल नहीं लौटना चाहेंगे. चूंकि मै ‘रेडियो एवं टेलीविजन पत्रकारिता’ का छात्र रहा हूं तो मै आपको उसके साक्षात्कार का पैटर्न समझाने की कोशिश करता हूं. रेडियो एवं टेलीविजन पत्रकारिता के साक्षात्कार को दो भाग में बांटा जा सकता है. साक्षात्कार राउंड के 15 मार्क्स में से 10 नंबर साक्षात्कार के होते हैं और 5 नंबर PTC के.
Interview (15) = Interview (10) + PTC (5)
साक्षात्कार की बात करें तो उसमे सबसे महत्वपूर्ण है आपका ज्ञान. विषय आपकी पसंद का हो सकता है. मैं जानता हूं कि रूम में पहुंचने के बाद आम तौर पर लोग नर्वसा जाते हैं. मै भी नर्वस हो गया था. और मै समझता हूं कि थोड़ी घबराहट होनी भी चाहिए. इससे संतुलन बना रहता है और कॉन्फिडेंस ‘ओवरकॉन्फिडेंस’ में तब्दील नहीं होता. लेकिन एक बार अन्दर जाने के बाद सामने पैनल में बैठे हमारे प्रोफेसर्स माहौल को बहुत कम्फर्टेबल बनाने की कोशिश करते हैं इसलिए आप बेफिक्र रहें.
आम तौर पर कुछ सवाल हर किसी से पूछे जाते हैं. जैसे कि अपने बारे में बताइए. आप कहां से हैं और आपने क्या पढ़ाई की है और आपका पसंदीदा क्षेत्र (राजनीति, खेल, मनोरंजन) क्या है. यही सवाल सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं क्यूंकि इन्ही सवालों के जवाब से उनके अगले सवाल निकलते हैं. ये बहुत ज़रूरी है कि आप जो कुछ भी बता रहे हैं वो सब सच हो वरना अगले सवाल में आपका झूठ फ़ौरन सामने आ जाएगा.
दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात है “Eye Contact”. आप जो भी जवाब दें बिल्कुल सामने देखकर. नज़रें नीची नहीं होनी चाहिए. अपना “Eye Contact” सभी पैनेलिस्ट्स से बनाए रखें. टीवी की भाषा में कैमरा घुमाते रहें. सबको सुनाते रहें, सबको बताते रहें. किसी भी सवाल के जवाब में आपके जो भी विचार हों उसे खुल कर व्यक्त करने की कोशिश करें और अपनी बात को फैक्ट्स के साथ पेश करें. सिर्फ हवा में तीर चलाने और बिना सर-पैर की बात करने का कोई मतलब नहीं है. आप जितने अच्छे से अपनी बात को व्यक्त कर पाएंगे, उतना ही आपका फायदा होगा इसलिए इस बात का ध्यान रखें. किसी विषय के बारे में या किसी सवाल का जवाब आपको न पता हो तो साफ़ मना कर दें कि आपको इस विषय की जानकारी नहीं है. गलत जवाब देने का नुकसान होगा.
सवालों के बाद बारी आती है PTC यानी Piece to Camera की. साक्षात्कार के अंत में आपसे किसी विषय पर PTC करने को कहा जाएगा. आपमें से कई लोगों के लिए PTC एक नया टर्म हो सकता है, लेकिन फिलहाल आप इसे इस तरह से समझें कि आपको जो भी विषय दिया गया हो उसके बारे में 20 सेकेण्ड के लिए आपको कैमरा के सामने बोलना है. ये टेस्ट सिर्फ इसी बात को चेक करने के लिए किया जाता है कि कैमरे के सामने आप अपनी बात को कैसे रखते हैं और आपकी उपस्थिति कैसी है. पैनल देखना चाहता है कि कैमरे के सामने आप खुद को कितना सहज रख पाते हैं और बात को कितना सहेज कर कह पाते हैं. साथ ही इससे आपकी आवाज़ की गुणवत्ता का भी पता चलता है जो रेडियो एवं टेलीविजन की दुनिया में बहुत मायने रखता है.
एक बात और है जिसकी ओर मै हिन्दी भाषी छात्रों का ध्यान खींचना चाहता हूं. खासकर उनकी जो ये समझते हैं कि उनकी अंग्रेजी कमज़ोर है. वो पैनेल के सामने गलत या टूटी-फूटी अंग्रेजी में जवाब देने की कोशिश न करें. आप अगर हिंदी में अच्छे से जवाब दे सकते हैं तो हिंदी का ही प्रयोग करें. ये कोर्स जितना अंग्रेजी बोलने वालों के लिए है उतना ही हिंदी बोलने वालों के लिए भी. हम सभी जानते हैं कि ज़माने की ज़रूरत अंग्रेजी भाषा है और आप इतनी अंग्रेजी जानते हैं तभी इंटरव्यू तक पहुंच पाए हैं. अंग्रेजी के साथ खुद को ढालने के मौके आगे आएंगे. साक्षात्कार में आप गलत भाषा का प्रयोग करेंगे तो अनर्थ होगा. आप अपनी बात को ठीक तरीके से व्यक्त नहीं कर पाएंगे और ये बात आपके पक्ष में नहीं जाएगी. इसलिए जिस भाषा में कम्फर्टेबल हैं उसी का प्रयोग करें.
मै आपसे कुछ ख़ास पढने के लिए नहीं कह रहा हूं क्यूंकि वो तो आप पहले से ही करते आए हैं और इसलिए इस पोस्ट को पढ़ भी रहे हैं. बस उसी तरह पढ़ते-लिखते रहिये. रोज़ अखबारों, पत्रिकाओं और टेलीविजन से रुबरू होइए और उसमे मौजूद हर चीज़ को अच्छे से नोटिस करिए. इंटरव्यू वाले दिन प्रमुख अखबारों और समाचार चैनलों को एक बार देखते हुए घर से निकलें. रास्ते में भी अखबार पलटते रहें. कई बार आपसे उस दिन के अखबार या चैनल पर चल रही खबरों के बारे में भी पूछ लिया जाता है. आपकी जुबां से निकली हर बात के पीछे एक ‘क्यूं’ होता है, उस क्यूं का जवाब आपके पास होना चाहिए. अगर जवाब नहीं है तो जवाब को तलाशिये. चाहे कितनी मेहनत क्यूं न करनी पड़े क्यूंकि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता.
पढ़ाई-लिखाई से अलग हट के एक बात जो मैं जानता हूँ वो ये कि आप अपने हिस्से का काम पूरी ईमानदारी से कीजिये और अपना सौ प्रतिशत दीजिये, बाकी के लिए तो दुनिया वाले बैठे ही हैं. मेरे ख्याल में फिलहाल इतना ज्ञान काफी है.
उम्मीद है कि जल्द ही मुलाक़ात होगी. शुभकामनाएं.
4 comments:
thank u bhaai............. mast guidance h.. ab hum v neravasyenge nhi........bebbaaaki se apni baat rakhenge............ aur aapne ye v bilkul sahi kaha ki sfalta ka koi shortcut nhi hota.... ye toh ek evrest h..jitni mehnat utni lambi chadhai.again..thank u sir jee
You are always welcome Neeraj :)
maja aa gaya bhai article padh ke achha laga, aap ki sujhai hui bate apply krne ki koshish bhi ki h,behtar likhte h aap.
philhal iimc k final result ka waite kr raha hu.
thanx 4r guidence.
guidance achhi rahi, amal me lane ki lane ki koshis bhi ki h, dekhte h aage result kya hota h.
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