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Friday, June 21, 2013

चक दे आईआईएमसीः ये दस मिनट जी लो यारों

आनंद दत्ता हिंदी पत्रकारिता 2012-13 बैच के सातवें टॉपर हैं. फोटोग्राफी के शौक़ीन आनंद कैंपस प्लेसमेंट से हिन्दुस्तान की नौकरी पा चुके हैं और फ़िलहाल पोस्टिंग का इन्तजार कर रहे हैं. आईआईएमसी एलुम्नाई एसोसिएशन की केंद्रीय समिति के सदस्य आनंद http://mangopeopleblog.blogspot.in/ पर बकैती भी काटते हैं.
भारतीय जनसंचार संस्थान का फाटक आपने खोल लिया है, क्लास रूम खोलना बाकी है . पांच से दस मिनट यदि आप स्वभाविक बने रहे तो ये काम भी मुमकिन समझो. क्योंकि साक्षात्कार में  इतना ही समय लगता है. वैसे तो साक्षात्कार में पूछे जाने वाले सवालों की कोई लिस्ट नही हो सकती, न ही शानदार टाइप अंदाजा लगाया जा सकता है. लेकिन  छोटी-मोटी जुर्रत तो की ही जा सकती है.

सबसे पहला ये कि आत्मविश्वास बनाये रखें. इसे बनाये रखने के लिए छोटी-छोटी कसरत करें. अपने जिले और राज्य के बारे में भौगोलिक, राजनैतिक और ऐतिहासिक जानकारी रख लें. केंद्रीय मंत्रिमंडल के प्रमुख मत्रियों को जान लें. हाल-फ़िलहाल के सामाजिक और राजनैतिक मुद्दों की जानकारी व उसके विषय में अपनी पुख्ता व स्पष्ट राय जरूर बना लें.

पत्रकारिता क्यों? इस सवाल का छोटा व स्पष्ट जवाब आप जरुर तैयार रखें. यदि आपने पहले भी पत्रकारिता की है तो अपने काम का चिट्ठा साथ में रख लें, लेकिन बिना अनुमति के उसे न पसार दें.

आपने जिस विषय के साथ स्नातक की पढ़ाई की है, उससे पूछे जाने वाले सवाल के आसार प्रबल हैं. उसके लिए आप पूरी तरह तैयार रहें. विज्ञान या वाणिज्य वालों से पूछ लिया जाता है कि पत्रकारिता तो कला के लोगों का मामला है, हिन्दी का मामला है. ऐसे सवालों के लिए तैयार रहें. पूछा तो ये भी जा सकता है कि आईआईएमसी ही क्यों.

कपड़ों को लेकर थोड़ी सावधानी जरूर बरतें. फॉर्मल पहन कर जाएं तो ज्यादा बेहतर रहेगा.

इतना सब होने के बाद भी आप घबरा रहे हैं, पता है मुझे. मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ था. इसे दूर करने का बढ़िया उपाय ये है कि साक्षात्कार से एक घंटे पहले आईआईएमसी पहुंच जाएं और कैम्पस में टहलने का मजा लें. सौ फीसदी गारंटी,  कैम्पस अपना सा लगेगा और आप आत्मविश्वास से लबरेज हो जायेंगे.

याद रखें, आपका पहला जवाब अगले सवाल या पूरे साक्षात्कार की दिशा तय कर सकता है. और पहला सवाल ये है कि आप अपने बारे में बताइये. अब सवालों को लेकर दिमाग में ज्यादा रेल मत चलाइए.  दिमाग में ये सोंचे कि जो होगा देखा जायेगा, फिकर नॉट. सुबह कुछ अखबार पलटकर जाइएगा तो बढ़िया रहेगा.

याद रखें आप एक होनहार छात्र हैं, विद्वान नही. इसीलिए जिस सवाल के जवाब न मालूम हों, बेझिझक मना कर दें. आईआईएमसी भी देश- दुनिया को बेहतर पत्रकार देना चाहती है. इसीलिए आप बेहतर हैं तो आपका स्वागत है.

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