संदीप कुमार आईआईएमसी में आने से पहले झारखंड में प्रभात खबर के लिए रिपोर्टिंग कर चुके थे। 2005-06 बैच में हिन्दी जर्नलिज्म के टॉपर रहे। उन्हें स्टार टीवी का मीडियास्टार स्कॉलरशिप मिला और स्टार न्यूज में ब्रेक। इन दिनों आजतक में हैं। हाल ही में उन्हें यूनिसेफ नेशनल जर्नलिज्म स्टूडेंट अवॉर्ड के लिए चुना गया है।
सबसे पहले बधाई कि आपने आईआईएमसी के दरवाजे पर दस्तक दे दी है। अब थोड़ा और ज़ोर लगाना है ताकि ये दरवाजा भी खुल जाए।
तकरीबन दो-तिहाई रास्ता आपने तय कर लिया है और ये भी एक हकीकत है कि जितने लोगों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया है उनमें से कमोबेश एक-तिहाई को ही आईआईएमसी में जगह मिल पाएगी। लेकिन इतना तो तय है कि जिन्हें कामयाबी मिलेगी उनके साथ एक चीज अहम होगी और वो है- आत्मविश्वास।
इंटरव्यू में ज्यादा जोर इस बात पर होती है कि आप अपनी बात को किस तरह से रख पाते हैं और कितने पुख्ता तौर पर रख पाते हैं। ये सही है कि हर मुद्दे के दो पहलू होते हैं पर या तो आपको इस पार रहना होगा या फिर उस पार।
मसलन या तो आपको आरक्षण का समर्थक करना होगा या फिर उसका विरोध करना होगा। आप आरक्षण के पक्ष में हों या फिर विपक्ष में...आपके पास इसके लिए पुरजोर तर्क होने चाहिएं। हां, अगर इंटरव्यू बोर्ड किसी मुद्दे पर (रिजर्वेशन, न्यूक्लियर डील..) दोनों पहलू को जानना चाहे तो उसे भी बताएं। और जब इन मुद्दों पर आपकी राय मांगी जाए तो आप अपना स्टैंड साफ कर दें।
इंटरव्यू में आपसे आपके शहर, आपके कॉलेज-यूनिवर्सिटी, बीए-एमए के आपके सब्जेक्ट्स के बारे में भी पूछा जा सकता है। एक सवाल जो 101 फीसदी गारंटी के साथ पूछा जाएगा वो ये कि आखिर आप पत्रकारिता में क्यों आना चाहते हैं? आखिर आप पत्रकारिता में आकर क्या करेंगे? दस साल में आप अपने-आप को कहां देखना चाहते हैं? पत्रकारिता में आपके रोल मॉडल कौन हैं और क्यों? इंटरव्यू के सवालों की ना तो कोई सीमा होती है और ना ही इसकी कोई फेहरिश्त बनाई जा सकती है। आप किसी सवाल का जवाब नहीं जानते तो बड़ी शालीनता से मना कर दें।
अपने अनुभव से मैं यह कह सकता हूं कि इंटरव्यू के दौरान आप खुशमिजाज बने रहें...डरे-सहमे ना दिखें...आत्मविश्वास बरकरार रखें...आईआईएमसी आपका खैर-मकदम करेगा ही करेगा...
शुभकामनाओं के साथ...
संदीप कुमार
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