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Monday, April 9, 2012

पहले लिखें, फिर खुद देखें कि कैसा लिखा आपने

अनिल अमरोहा से हैं. आईआईएमसी से पढाई को एक सपना पूरा होने जैसा मानने वाले अनिल एक एफएम चैनल से करियर की शुरूआत करने जा रहे हैं.

आईआईएमसी एक ऐसा नाम, जिसमें एडमिशम का मेरा भी सपना था. आईआईएमसी में आकर पत्रकारिता के गुरूमंत्र सीखने वाले सभी विधार्थीयों को शुभकामनाएं. शुभकामना इसलिए कि आपने आईआईएमसी में एडमिशन लेने का आत्मविश्वास दिखाया. ये आपका एक जोरदार कदम है. मेरी मानो तो ये आत्मविश्वास कभी मत डगमगाने देना.

अपने अनुभव से यही कह सकता हूं आईआईएमसी की तैयारी करते समय दिल से मुश्किल नाम का डर बिलकुल निकाल दें. मुझे मालूम है कि आप में से कितने लोगों से कुछ लोग ये कहते होंगे कि आईआईएमसी मे ट्राई मत कर, कहीं और करो, यहां सीटें बहुत कम हैं. मुश्किल होगा. तुम कैसे निकाल पाओगे. ऑल इंडिया लेवल का इग्जाम है.

ऐसी बातों को नजरअंदाज करें. लिखित परिक्षा से लेकर इंटरव्यू के सफर तक नकारात्मक बातों को अपने पास भटकने भी ना दें और सकारात्मक रहें.

पहला कदम-
पिछले 6-8 महिने के तमाम मुद्दों की एक सूची तैयार कर लें. उस सूची में अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय घटनाएं अलग-अलग करके लिख लें. साथ में बड़ी क्षेत्रीय खबरों पर भी नजर डाल लें.

दूसरा कदम-
इंडिया टुडे, आऊटलुक, तहलका, फ्रंटलाइन हर महीने लगातार पढते रहें. जनसत्ता, राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर रोजाना पढें. जनसत्ता और भास्कर के संपादकीय लेख पढना बिल्कुल ना भूलें. चाहें एक साथ समय ना निकाल पाएं तो कोई एक दिन ऐसा निकालें, जिस दिन आप अखबारों के संपादकीय अच्छी तरह पढें.

तीसरा कदम-
लेखन के लिए जरूर दो घंटे निकालें. कुछ ऐसा टाइम टेबल बनाकर चलें कि रोजाना आप किसी चर्चित मुद्दे पर 200 से 300 शब्दों में लिखें. उसे खुद पढें. जो गलतियां मिलें, उन्हें दुरुस्त करें. कोशिश करें कि मात्रा की गलतियां कम से कम हों. आपके पास लिखते समय बहुत ज्यादा तथ्य नही हैं तो परेशान होने की कोई जरूरत नही हैं. जितने तथ्य हैं, उन्हें स्पष्ठता के साथ लिख डालें.

ध्यान ये रखना होगा कि विषय का विश्लेषण अच्छा होना चाहिए. लेख में जो सवाल खड़े किए जाएं और जो बातें रखी जाएं उसके पीछे का मतलब साफ झलकना चाहिए कि आप क्या कहना चाहते हैं. जो भी लिखें तर्कपूण हो. प्रयास करें कि कम शब्दों में एक अच्छा लेख लिखें क्योंकि ऑब्जेक्टिव को छोड़कर हरेक सवाल शब्द सीमा के साथ पूछा जाता है. आपने कितने ज्यादा शब्दों में लिखा, इसके नंबर कोई नही देने वाला. आपने क्या बात रखी और वो कितने स्पष्ट हैं, नबंर इसके मिलेगें.

चौथा कदम-
सकारात्मक बने रहें. रोजाना दो घंटे 5-6 घटनाओं पर लिखें. समय का ध्यान रखें. दो घंटे का समय खत्म होते ही खुद अध्यापक की तरह लिखना बंद कर दें. कुछ देर बाहर घूमकर आएं फिर अपने लिखे को खुद पढें. देखिए कि आप जो बात कहना चाह रहे हैं, वो स्पष्ट हो पा रही है या नही. इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा.

पढ़ना-लिखना जारी रखें और पूरे आत्मविश्वास के साथ परीक्षा दें.



शुभकामनाएं

अनिल कुमार

आरटीवी, 2011-12

apkajournalist@gmail.com

1 comment:

अनिमेष तिवारी said...

shukriya sir.
min is baar hindi patrakaarit ki pareeksha dene wla hoon . nishchit roop se ye mere liye upyogi hain.