आईआईएमसी प्रवेश परीक्षा में उतीर्ण होने के लिए आपके आंख-कान खुले होने चाहिए कि देश-दुनिया में क्या हो रहा है और लोगों की जिंदगी पर कौन सी बातें असर डालती हैं. इसका जिक्र पहले के लेखों में किया जा चुका है कि क्या-क्या पढ़ें और क्या देखें-सुनें. अनुज रीतेश ने कहा कि मैं ब्लॉग के लिए अनुवाद पर ही लिखूं जो प्रश्नपत्र का एक हिस्सा रहता है. और ये भी लिखूं कि सवालों का जवाब कैसे दिया जाए.
तो पहले हम अनुवाद की बात कर लेते हैं.
आईआईएमसी प्रवेश परीक्षा के प्रश्न पत्र में एक सेक्शन अनुवाद का भी होता है. अनुवाद के लिए किसी अखबार या पत्रिका से एक पैरा उठाकर दे दिया जाता है और उसका हिंदी अनुवाद करने के लिए कहा जाता है. कई उम्मीदवार एक-एक शब्द का अनुवाद करने लगते हैं जिससे वाक्य बेतरतीब हो जाता है या बहुत लंबा हो जाता है और अर्थ का अनर्थ भी हो जाता है. पूरी दुनिया में अनुवाद शब्दश: नहीं बल्कि भाव का किया जाता है. पहले आप समझिये कि मूल लेखक अपने लेखन में क्या कह रहा है फिर आप उसे अपनी सरल और सहज भाषा में हिंदी में लिख दीजिए.
अनुवाद के बाद एक बार मन ही मन उसे पढ़ जरूर लें और अनुदित सामग्री में अगर आपको अटकना पड़ें तो समझिए कि कुछ गड़बड़ है. कहीं प्रवाह टूट रहा है. अनुदित वाक्य अगर लंबा लग रहा है तो उसे बेदर्दी से दो या तीन वाक्य में बदल दीजिए. ख्याल रहे कि मूल कथ्य बिगड़े नहीं. न ही आप किसी शब्द को चबा लें. कई बार किसी शीर्षक या सब-हेडिंग का अनुवाद करते वक्त आप इतनी छूट ले सकते हैं कि उससे मिलते-जुलते खूबसूरत हिंदी मुहाबरे या किसी प्रसिद्ध गीत/शेर की पंक्ति को वहां दें.
मिसाल के तौर पर इस हेंडिंग को देखें- Picking up the pieces. यहां संदर्भ भारत की आजादी के बाद सैकड़ों रियासतों में बंटे देश के एकीकरण और उसके लिए किए गए भागीरथ प्रयासों का है. यहां अगर शब्दश: अनुवाद किया जाए तो मामला गड़बड़ हो जाएगा. यहां मेरे एक मित्र ने इसका अनुवाद सुझाया- और कांरवा बनता गया! लेख की विषयवस्तु के हिसाब से इसे अच्छा माना गया।
अब इस पैरा को देखें- ON THE AFTERNOON OF 22 APRIL 1498, a few kilometers off the shore of the East African port of Malindi, Captain-Major Vasco Da Gama was a happy man. After drifting for four frustrating months up the continent’s southeastern coast, from Mozambique to Mombasa , facing the hostility of local rulers and Arab and African merchants, the Portuguese captain had finally found a navigator who could take him to India .
अनुवाद- 22 अप्रैल 1498 की दोपहर को कैप्टन-मेजर वास्को डि गामा काफी खुश लग रहा था. उस समय वह पूर्वी अफ्रीका के बंदरगाह मालिंदी के तट से कुछ किलोमीटर की दूरी पर था. उसकी खुशी की वजह यह थी कि उसे भारत जाने का रास्ता मिल गया था. उससे पहले डिगामा अफ्रीका के दक्षिण-पूर्वी तट पर मोजाम्बिक से मोम्बासा तक चार महीनों तक भटकता रहा था और स्थानीय शासकों, अरबी और अफ्रीकी व्यापारियों के हमले झेल रहा था. आखिरकार उस पुर्तगाली कैप्टन को एक पथ-प्रदर्शक मिल ही गया जो उसे भारत ले जा सकता था.
ऊपर के अनुवाद में लंबे वाक्यों को दो या तीन वाक्यों में तोड़ा गया है ताकि पाठक को दिक्कत न हो. अनुवाद के समय अगर किसी शब्द का हू-ब-हू मतलब न निकल पा रहा हो पर आप भाव के नजदीक हों तो उसे अपने शब्दों में दो या तीन शब्दों में ही क्यों न व्यक्त करना पड़े- व्यक्त कर दें.
कई बार अंग्रेजी में किसी ऐसे शब्द का जिक्र कर दिया जाता है जो आम तौर पर हिंदी में प्रचलित नहीं होता. ऐसे में आपको वहां ब्रैकेट में उसे समझाना चाहिए. इस उदाहरण को देखें- ‘Kamraj was a thick-set man with a white moustache-according to one journalist, he looked ‘like a cross between Sonny Liston and the Walrus’.’
‘कामराज तगड़े डील-डौल के स्वामी थे और उनकी मूंछें सफेद थीं. एक पत्रकार के मुताबिक वे ' मशहूर बॉक्सर सनी लिस्टन और वालरस (आर्कटिक सागर में पाए जाने वाले ऊदबिलाव जैसा एक जानवर) के 'क्रॉसब्रीड' जैसे दिखते थे’!
अब यहां सनी लिस्टन और वालरस का जिक्र आया है तो हमें हिंदी में उसे स्पष्ट करना होगा कि ये सनी लिस्टन और वालरस क्या बला हैं. हमें ये भी ध्यान रखना होगा कि मोटे को मोटा न कहें, काले को काला न कहें. वैसे भी हमारे यहां काले को सांवला कहने का रिवाज है. हम ध्यान रखें कि किसी की भावनाएं आहत न हो, भले ही अंग्रेजी में उसे किसी भी तरह क्यों न लिखा गया हो.
हमें अनुवाद करते समय महिलाओं, दलितों, विकलांगों और अल्पसंख्यक समूह के बारे में किसी भी ऐसी बात को जगह नहीं देनी है जिससे या तो उनकी भावनाएं आहत होती हों या किसी तरह का वैमनस्य झलकता हो. अंग्रेजी में कई बार चीजों को हू-ब-हू लिख दिया जाता है, इस पर ध्यान देने की जरूरत है. यों ये बातें अनुवाद से बाहर भी जिंदगी के हर क्षेत्र में लागू होती हैं.
कई बार हम अंग्रेजी के बहु-प्रचलित शब्दों के अनुवाद में हिचकने लगते हैं. मिसाल के तौर पर यूनिवर्सिटी को क्या लिखें? यूनिवर्सिटी या विश्वविद्यालय. चूंकि यूनिवर्सिटी आम हिंदी की बोलचाल में आ गया है तो उसे यूनिवर्सिटी लिखा जा सकता है, वैसे आप विश्वविद्यालय लिखते हैं तो कोई हर्ज नहीं है. लेकिन हर अंग्रेजी शब्द को हू-ब-हू नहीं लिख देना है. बर्थडे का हिंदी जन्मदिन है और वहीं उचित भी है.
ये कुछ मोटी-मोटी बातें अनुवाद के बारे में हैं. यूं यह ऐसी विधा है जो अनुभव से और ज्यादा निखरती है. कई सारी ऐसी बातें हैं जो इस माध्यम पर उबाऊ बना देगा.
दूसरी बात प्रश्न का उत्तर कितने शब्दों में दें, यह समझना जरूरी है. इसके बारे में कोई फार्मूला नहीं है. एक फार्मूला ये जरूर है कि जवाब संतुष्टिजनक हों, तथ्यों का दुहराव न हो, कम शब्द खर्च हों तो बेहतर. पन्ना भरने से नंबर नहीं मिलते- ये बातें दसवीं-बारहवीं की परीक्षा में भी लागू होती है और आईआईएमसी में भी. सीधे मसले पर आएं, घुमा-फिराकर बातें न करें- किसी के पास वक्त नहीं है कि विस्तार में जाए.
वैचारिक प्रश्नों के जवाब देते समय मध्य-मार्ग सबसे बेहतर तरीका होता है. आप सेंटर टु लेफ्ट भी रहें तो ठीक है. आपके जवाब से व्यापक समाज के प्रति आपकी चिंता झलकनी ही चाहिए. देश की लोकतांत्रिक पद्धति, धर्मनिरपेक्षता, समग्र विकास, पर्यावरण, महिला अभिव्यक्तिकरण के प्रति आपकी चिंता आपके जवाब में अपेक्षित है.
शुभकामनाएं
सुशांत झा
3 comments:
धन्यवाद झा साहब आपके बहुमूल्य मार्गदर्शन और अनुवाद की बारीकियां समझाने के लिए।,रामचंद्र गुहा की आपके द्वारा अनुवादित India after Gandhi के दोनों भाग भारत गाँधी के बाद और भारत नेहरु के बाद दोनों मैने है। पढे बहुत खूबसूरती से आपने अनुवाद किया है ।
धन्यवाद झा साहब आपके बहुमूल्य मार्गदर्शन और अनुवाद की बारीकियां समझाने के लिए।,रामचंद्र गुहा की आपके द्वारा अनुवादित India after Gandhi के दोनों भाग भारत गाँधी के बाद और भारत नेहरु के बाद दोनों मैने है। पढे बहुत खूबसूरती से आपने अनुवाद किया है ।
thanx Shubham. it is an encouragement for me.
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