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Wednesday, April 11, 2012

हर सवाल जरूरी हैः 85 की लिखित, 15 का साक्षात्कार

अविनाश कुमार चंचल हिन्दी पत्रकारिता 2011-12 बैच के छात्र हैं और कैंपस से ही हिन्दुस्तान, पटना में करियर की शुरुआत का टिकट पा चुके हैं. इस शानदार लेख के लिए आभार के साथ उनकी सफल पारी की शुभकामनाएं.
आईआईएमसी में दो तरह के बच्चे आते हैं. एक जिनके भीतर जर्नलिज्म का भूत टाइप कुछ सवार होता है और दूसरा जो बस ऐसे ही एक ऑप्शन की तलाश में आ जाते हैं. लेकिन एंट्रेंस को पास करने के लिए दोनों टाइप के बच्चों में एक गुण खास होती है, वो है- खबरों से प्यार. अखबार से प्यार. इसलिए जरूरी है कि आप खबरों से प्यार करें.

आईआईएमसी देश की बेहतरीन संस्थानों में से एक है. शायद इसलिए कई बार ये एक हौव्वा की तरह लगता है. सच पूछिए तो आज से एक साल पहले तक अविनाश कुमार चंचल के लिए भी आईआईएमसी एक हौव्वा ही था. लेकिन यकीन मानिए आईआईएमसी कोई हौव्वा नहीं है, यदि आपके पास एक रणनीति है.

सबसे पहले तो आप हर रोज दो अखबारों का अध्ययन जरूर करें और आज कल वेब ने ये सुविधा हमें मुहैया करा दी है कि हम एक दिन में एक ही मुद्दे पर पांच-सात अखबारों को पढ़ सकते हैं. इंटरनेट पर कम-से-कम दो-चार संपादकीय पढ़ लें तो और बेहतर.

फिर ये सवाल भी महत्वपूर्ण है कि अखबार के सभी खबरों को चाटा जाये या फिर सेलेक्टिव होकर पढ़ा जाये. जवाब है बिल्कुल सेलेक्टिव होकर पढ़ा जाये. हमारे लिए सिटी की रूटीन खबरों का महत्व नहीं है. मुख्य रूप से देश-विदेश, आर्थिक, खेल से जुड़ी खबरों को ध्यान से पढ़ना चाहिए. उसमें भी उस खबर को जो लगातार चर्चा में रहे हैं.

फिलहाल देश में जो मुख्य मुद्दे हैं- एफडीआई इन रिटेल, सेना प्रमुख बनाम सरकार, कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र, पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और केंद्र पर असर, एनसीटीसी, मुल्लापेरियार बांध, नदी जोड़ो परियोजना, सिटिजन चार्टर, नक्सलवाद, रेल बजट, आम बजट 2012, मानव विकास रिपोर्ट 2011, गरीबी रेखा विवाद, ब्रिक्स सम्मेलन, शिक्षा का अधिकार, राइट टू रिकॉल, सोशल साइट्स पर अंकुश, जीएसटी, तेलंगाना, मणिपुर में आर्थिक नाकेबंदी, अफ्सपा, हक्कानी नेटवर्क, मेमोगेट, सीरिया विवाद, गद्दाफी का पतन और लीबिया में लोकतंत्र, ऑक्यूपाई वॉल स्ट्रीट. इन मुद्दों के साथ-साथ कुछ सवाल जैसे किताब की समीक्षा, फिल्म की समीक्षा, पसंदीदा अखबार, टीवी चैनल आदि भी महत्वपूर्ण हैं.

सवाल इस तरह से पूछे जाते रहे हैं कि सोशल साइट्स पर अंकुश की कोशिशों को आप कैसे देखते हैं. या आपने हाल में कौन सी फिल्म देखी है और आपको वो कैसी लगी, तर्क के साथ. आप कौन सा अखबार पढ़ते हैं और वो दूसरों से कैसे अलग है. आप जिस समाचार चैनल को देखते हैं उसे पसंद करने का आपका पैमाना क्या है. शिक्षा का अधिकार को लेकर देश में क्या चल रहा है और आपका इस पर क्या नजरिया है. परीक्षा में पूछे जाने वाले सवालों के जरिए यह जानने की कोशिश रहती है कि एक समकालीन मुद्दे में परीक्षार्थी कितनी रुचि रखता है, उसके तमाम पहलुओं को कितना समझता है और अगर मुद्दा विवादित है तो जाहिर तौर पर परीक्षार्थी का उस मुद्दे पर क्या नजरिया है.

अखबार के साथ-साथ जनवरी से मई तक का प्रतियोगिता दर्पण, प्रतियोगिता साहित्य जैसी पत्रिकाएं देख लेंगे तो चर्चित व्यक्ति और लघु उत्तरीय सवाल हल करने में सहूलियत होगी.

लिखने की शैली की बात करें तो इसके लिए जरूरी है कि खूब पढ़ा जाय और पढ़े को लिखने का अभ्यास किया जाय. तहलका जैसी पत्रिकाओं को पढ़ने से लेखन-शैली सुधारने में काफी मदद मिलती है. बेहतर होगा कि ऐसी पत्रिकाओं का नियमित पाठक बन जाएं. साथ ही, पढ़ने का कुछ प्रेम इंडिया टुडे, आउटलुक पर भी लुटा पाएं तो बेहतर होगा.

हिन्दी पत्रकारिता में एक सवाल जो पूछा जाता रहा है वो है एक पाराग्राफ का अनुवाद. इस सवाल का जवाब देख रहे परीक्षक शब्द-दर-शब्द तकनीकी अनुवाद की बजाय ऐसे अनुवाद को पसंद करते हैं जो अंग्रेजी में कही गई बात को हिन्दी की भाव-भंगिमा के साथ पेश करे. आपके पास समय कम होगा इसलिए आप मक्खी पर मक्खी न बिठा कर अंग्रेजी के तथ्य और कथ्य के भावों को अपनी भाषा में लिख दें. शब्दानुवाद करने से बचें.

परीक्षा हॉल में टाइम मैनेजमेंट बहुत जरूरी है इसलिए बेहतर होगा कि आप निर्धारित शब्दों में ही सारी बात करें और कोशिश करें कि एक भी सवाल छूट न पाये. आपको पता होना चाहिए कि आईआईएमसी का टेस्ट 100 नंबर का होता है जो 85 नंबर की लिखित परीक्षा और 15 नंबर के साक्षात्कार में बंटे हुए हैं. इसलिए लिखित परीक्षा में बेहतरीन प्रदर्शन ही साक्षात्कार को भी पार करने की गारंटी कर सकता है.

इसे आप ऐसे समझ लें तो बेहतर होगा कि साक्षात्कार के लिए बुलाए गए तकरीबन 150-60 बच्चों (एक सीट के लिए अमूमन तीन बच्चे बुलाए जाते हैं) के लिखित परीक्षा के अंक में बहुत बड़ा अंतर नहीं होता है. मसलन साक्षात्कार के लिए बुलाए गए सबसे बढ़िय लिखने वाले बच्चे ने 65 नंबर पाए हों तो 64 नंबर पर 4 बच्चे होंगे, 63 नंबर पर 15 बच्चे मिलेंगे. बमुश्किल 5-8 नंबर के फासले वाले बच्चे साक्षात्कार में पहुंचते हैं. इसलिए 15 नंबर की सीमा वाले साक्षात्कार में मिलने वाला नंबर अगर इस 5-8 नंबर की खाई को न पाट पाए या लिखित परीक्षा में मिली बढ़त को कायम न रख पाए तो आप दाखिले से चूक सकते हैं. इसलिए लिखित परीक्षा और साक्षात्कार दोनों में अपना सर्वश्रेष्ठ दें.

साक्षात्कार का एक ही फंडा है. आप ज्यादा से ज्यादा खुद को अभिव्यक्त करें लेकिन संतुलन के साथ. साक्षात्कार के सवाल आपके नाम, आपकी पढ़ाई, आपकी रुचि, आपके परिवार, आपके शहर-गांव की बातों से शुरू होते हैं और देश-दुनिया की उन बातों तक जाते हैं जो आपकी रुचि और आपकी बातों से निकलते हैं. बात से ही बात निकलती है, आईआईएमसी के इंटरव्यू में सच लगेगा. इंटरव्यू ले रहे लोग यह जरूर जानना चाहते हैं कि आप पत्रकारिता में क्यों आना चाहते हैं.

चीजों के प्रति आलोचनात्मक दृष्टिकोण ही आपको आईआईएमसी पहुंचायेगी और कल को संपादक पद तक भी.


शुभकामनाओं के साथ
अविनाश कुमार चंचल
हिन्दी पत्रकारिता, 2011-12

1 comment:

sushant jha said...

Good written. Congrats.