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Tuesday, May 21, 2013

रॉकेट साइंस का इम्तिहान नहीं, बस आत्मविश्वास और मौलिकता ज़रूरी

सुमित सुन्द्रियाल हिंदी पत्रकारिता विभाग के 2012-13 बैच के टॉपर और इस बैच में सभी विभागों के सम्मिलित दूसरे टॉपर हैं. कैंपस प्लेसमेंट से आईबीएन7 पहुंच रहे हैं.

साथियों! आप लोगों की प्रवेश परीक्षा की तैयारियां ज़ोरों पर होंगी. अब तो परीक्षा के लिए समय भी काफ़ी कम रह गया है. ऐसे में आपको क्या करना चाहिए, क्या नहीं, इसका पता चल गया होगा. अगर इस ब्लॉग को आप सब नियमित रूप से पढ़ रहे हैं फिर तो ये अच्छे से समझ ही गये होंगे.

अगर आपने पत्रकारिता को अपने कार्यक्षेत्र के बतौर पूरे मन से चुना है तो मेरी नज़र में आईआईएमसी से बेहतर विकल्प कोई नहीं है क्योंकि यहां सीखने और सिखाने वालों के बीच सर्वश्रेष्ठ माहौल व तालमेल उपलब्ध होता है. इसका अनुभव संस्थान में पहले दिन से लेकर आखिरी दिन तक होता है. तमाम मुद्दों पर अलग-अलग विचारों को कक्षा में एक साथ टकराते देखना और कक्षा से बाहर उन्हीं का आपस में बेहतरीन मेल-जोल इसी संस्थान में दिख सकता है.

बहरहाल, मुख्य विषय पर लौटना ज़रूरी है. अगर आपको वास्तव में पत्रकारिता करनी है और इसके लिए आप तत्पर हैं तो अख़बार, समाचार चैनल, पत्रिकाओं, न्यूज़ वेबसाइट्स- सोशल साइट्स से आप नियमित रूप से जुड़े होंगे. और अगर किसी ने बिना इन सबकी परवाह किए ही आईआईएमसी में आने की उम्मीद पाली हुई है तो वह खुद को ही अंधेरे में रखे हुए है. यह निहायत ज़रूरी है कि आप कम से कम पांच-छह महीनों से समाचार-सूचनाओं के इन सभी स्रोतों के संपर्क में रहे हों क्योंकि इससे आपके लिए राह कुछ हद तक आसान है.

लेकिन जो अभी तक भी पूरी तैयारी से दूर रहे हैं उन्हें भी ज़्यादा घबराने या निराश होने की ज़रूरत नहीं है. आईआईएमसी की प्रवेश परीक्षा कोई रॉकेट साइंस का इम्तिहान नहीं है. अगर कम से कम पिछले दो महीनों की कोई भी करेंट अफ़ेयर्स की पत्रिका पर आप अभी भी निगाहें डाल देते हैं तो कुछ ताज़ातरीन मुद्दों की सामान्य जानकारी आपको मिल जाएगी. यह इस लिहाज़ से मददगार होगी कि आप उनसे जुड़े सवालों का सामना करने की स्थिति में होंगे और फिर उस पर अपने विचार भी आप अच्छे से दे सकते हैं.

मसलन कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों पर विश्लेषण या फिर कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला और उसकी सीबीआई जांच को लेकर चल रहे विवाद पर जानकारी किसी भी समाचार पत्रिका में मिल जाएगी, इंटरनेट पर सर्च करेंगे तो ख़बरों में दिख जाएगी. लेकिन इस बात का भी ख़ास तौर पर ध्यान रखें कि सिर्फ़ राजनीतिक ख़बरें ही पत्रकारिता नहीं हैं बल्कि आपको अर्थ जगत की ख़बरों पर भी ध्यान देना होगा. इनमें सबसे अहम है इस साल पेश हुआ आम बजट. 15वीं लोकसभा का यह आखिरी पूर्ण बजट था. इसलिए आपके लिए ज़रूरी है कि इस पर आर्थिक विश्लेषकों के विचार जरूर पढ़ें. साथ ही बजट की कुछ महत्वपूर्ण घोषणाओं की भी सामान्य जानकारी ज़रूर रखें. सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं और उनके बारे में लोगों की राय की समझ रखना भी आवश्यक है.

भारतीय सिनेमा के सौ साल पूरे हुए हैं. इसलिए इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर अपनी सूचनाओं और विचारों को और दुरुस्त करें। वर्तमान समय में भारतीय फ़िल्मों की स्थिति, उनमें गंभीर सामाजिक मुद्दों की उपस्थिति और महिलाओं के चित्रण से जुड़े प्रश्न हो सकते हैं. ऐसे सवालों का मकसद आपकी समझदारी को परखना होगा. इसके अलावा ऑस्कर को लेकर भारतीय फ़िल्मकारों के मोह से जुड़े सवाल पर भी ज़रूर ध्यान दें. प्राण साहब को हाल ही में दादा साहेब फ़ाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. इसे भी ज़रूर याद रखें. इस साल की चर्चित फ़िल्मों और पुरस्कारों को भी जान लें. अलग-अलग क्षेत्र की चर्चित हस्तियों के बारे में मोटा-मोटी जानकारी रखना तो बहुत ही जरूरी हैं.

इनके अलावा कुछ प्रमुख राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों में पाकिस्तान चुनाव के नतीजे, चीन में नेतृत्व परिवर्तन, पाकिस्तान और चीन के साथ हालिया सीमा विवाद, सरबजीत की मौत, आम चुनाव के समय पूर्व होने की संभावना, दिल्ली गैंगरेप– आंदोलन और मीडिया के प्रभाव को भी समझ लें. इनके अलावा एक बड़ा मुद्दा रहा है- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राजद्रोह का कानून. पिछले साल सबसे ज़्यादा चर्चित रहा ये मुद्दा. सबने ही अपनी राय इस पर खपाई थी. तो उम्मीद है कि आप सबकी भी इस पर अब तक कुछ बुनियादी समझ बन गई होगी. बाकी खेल और मनोरंजन से जुड़ी बड़ी ख़बरों और विवादों पर भी ज़रूरी तौर पर नज़र डाल लें.

अब प्रवेश परीक्षा के सबसे महत्वपूर्ण पहलू पर ध्यान दें. यह है आपकी लेखन क्षमता. जितना ज़रूरी मुद्दों की समझ है, उतना ही ज़रूरी उनको सही से पेश करने की कला भी है. मेरा ये मतलब नहीं कि आप अपने जवाब में बेहद कलात्मक या रचनात्मक हो जाएं. इसकी कोई आवश्यकता नहीं है. जितने साधारण और स्पष्ट रूप से आप अपने विचारों को रखेंगे उतनी ज़्यादा संभावनाएं बनेंगी.

यह भी ज़रूरी नहीं कि आप ज्ञान के महासागर हों. अगर आप हैं भी तो आपके लिए बेहतर है. वैसे भी इसके लिए आपको कक्षा में भरपूर समय मिलेगा. लेकिन अगर आप ये सोच रहे हैं कि आप बहुत कम जानते हैं तो यह ज़रूर याद रखें कि आपको जितना भी आता है, उसमें गलती न हो. मतलब सीधी सी बात है- आप तथ्यों को सही रखें, चाहे जितना भी जानते हों. इसी को ध्यान में रखते हुए जवाब लिखें. तथ्यों की ग़लत जानकारी सारी मेहनत पर मिट्टी-पानी फेर सकती है. जवाब के लिए शब्द सीमा तय रहती है इसलिए इसका सबसे ज़्यादा ध्यान रखें. अपने जवाब को इतना भी विस्तार न दें कि शब्द सीमा के साथ ही समय सीमा भी हाथ से निकल जाए. इसलिए ‘सब्जेक्टिव’ सवालों के जवाब में भी ‘ऑब्जेक्टिविटी’ रखें. विचारपरक सवालों पर इमोशन न हो जाएं, रैशनल रहें. पक्ष-विपक्ष सबकी बात बताएं और आप किस पक्ष के साथ हैं, इस पर स्पष्ट तर्क दें.

लिखते समय भाषा पर भी ध्यान दें. बिल्कुल शुद्ध-साहित्यिक भाषा का प्रयोग ज़रूरी नहीं है. अगर आप लिख सकते हैं तो अच्छा है और नहीं लिख सकते तो भी समस्या नहीं है. बस ज़रूरी है वाक्यों की सही बनावट और वर्तनी की शुद्धता. ये सबसे ख़ास भूमिका निभाती हैं. अगर आपको कुछ खास शब्दों से ज़्यादा प्यार है तो ध्यान रखें उसका ज्यादा इस्तेमाल नुकसान भी पहुंचा सकता है. जवाब को पैराग्राफ़ बनाकर लिखें. मसलन, अगर दो सौ शब्दों में उत्तर लिखना है तो तीन या चार पैराग्राफ़ ज़रूर बनाएं.

अंत में सबसे महत्वपूर्ण बात. आईआईएमसी में प्रवेश पाने के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी है आत्मविश्वास और सीखने की चाहत. इसका पता प्रवेश परीक्षा में आपके जवाबों से लेकर इंटरव्यू में आपकी प्रस्तुति से चल जाता है. ये ज़रूरी नहीं है कि आपमें असाधारण प्रतिभा हो तभी आप आईआईएमसी में आ सकेंगे. साधारण प्रतिभा के दम पर भी आप यहां प्रवेश पा सकते हैं क्योंकि प्रतिभाओं को असाधारण बनाने का काम यहां होता है. इसलिए ज़रूरी है कि अपनी मौलिकता को ही आप पेश कीजिए. किसी विशेषज्ञ की राय या विश्लेषण को ज़रूर पढ़िए पर उसे अंतिम सत्य मानकर अपना मत लीजिएगा. उस पर विपरीत पक्ष को भी पढ़िए. इससे आपमें मौलिक विचारों का विकास होगा.


हार्दिक शुभकामनाएं.

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