अगर आपने बीते 2-3 महीने रोज न्यूज
पेपर पढ़ा है और दिन में एक या दो टीवी न्यूज़ बुलेटिन या प्रोग्राम देखा है तो
मानकर चलिए कि आपकी तैयारी पूरी है. बस इस समय सारी अहम जानकारियों को एक बार
रिवाइज़ करने की जरूरत है. इसके लिए अगले एक हफ्ते का टाइम बहुत है. आप लोग
खुशकिस्मत हैं कि अभी तुरंत चुनाव खत्म हुए हैं. ज्यादातर चुनावी मुद्दों और चुनाव
से जुड़े लोगों के इर्द-गिर्द सवाल आ सकते हैं. क्योंकि इस साल जनवरी के बाद से ही
चुनाव और इससे जुड़ी घटनाएं और लोग ही ज्यादातर सुर्खियों में रहे हैं. इसका मतलब
ये नहीं कि चुनाव के अलावा बाकी कुछ नहीं आएगा. हर बड़ी देसी-विदेशी घटना की जानकारी
होनी चाहिए.
याददाश्त पर भरोसा करें
मैं उम्मीद करता हूं कि बीते 2-3
महीने में जो कुछ आपने पढ़ा, सुना या
देखा है, उसे समझा भी है और उसकी थोड़ी-बहुत
डिटेल भी आपको पता होगी. मसलन, वीएस संपत
और एचएस ब्रह्मा को तो सभी लोग जानते होंगे, लेकिन नसीम जैदी कौन हैं, ये भी
आपको पता है. ऐसे बहुत से कैरेक्टर होते हैं, जिनकी बहुत ज्यादा चर्चा नहीं होती. अगर आपने खबरों को ध्यान
से देखा है तो भूलने की चिंता मत कीजिए, नाम सामने आने पर सब याद आ जाएगा. अगर आप अब से कोशिश करें कि
देश के सभी महत्वपूर्ण मुद्दों और व्यक्तियों की जानकारी इकट्ठा कर लें तो ये संभव
नहीं है. आराम से पढ़ाई करें और अपनी याददाश्त और कॉमन सेंस पर भरोसा करें.
विचारधारा या सियासी पसंद छिपाएं
किसी भी जवाब को लिखने में इस बात का
पूरा ध्यान रखें कि कहीं से आपकी विचारधारा नहीं झलकनी चाहिए. इससे फायदा हो-न-हो
नुकसान की गुंजाइश ज्यादा रहती है. जैसे कि पिछले साल के पेपर में भ्रष्टाचार पर
सवाल पूछा गया है, लेकिन ऐसा न हो
कि आप भ्रष्टाचार की बात करते-करते किसी पार्टी की बुराई और किसी की तारीफ करने
लगें. बात को ऑब्जेक्टिव तरीके से भी लिखा जा सकता है. जैसे कि किसी मुद्दे पर अगर
टिप्पणी लिखने को कहा गया है तो आप उससे जुड़े दोनों पहलू का जिक्र करें. उदाहरण
के लिए सीबीआई की ऑटोनॉमी पर सवाल में ऐसा न हो कि लिखने लग जाएं कि सरकार ने
सीबीआई को तोता बना दिया है. इसके बजाय ये लिखें कि सुप्रीम कोर्ट को कहना पड़ा कि
सीबीआई सरकार का तोता बन गई है. ऐसे में ये सरकार की जिम्मेदारी है कि वो सीबीआई
के लिए लोगों में भरोसा जगाए. लेकिन ये काम इतना आसान भी नहीं है. वगैरह-वगैरह.
जवाब आसान भाषा में लिखें
सवालों के जवाब लिखने में बहुत कठिन
शब्दों का इस्तेमाल करने से बचें. बोलचाल की भाषा हर किसी को पसंद आती है. वाक्य
छोटे रखें, इससे पढ़ने वाले को समझने में आसानी
होती है. तथा, द्वारा,
एवं, इत्यादि जैसे शब्दों का कतई इस्तेमाल न करें. याद रखें ये
टेस्ट इस बात का नहीं है कि आपको हिंदी के कितने कठिन शब्दों की जानकारी है. बल्कि
इस बात का टेस्ट है कि क्या आपका लिखा कॉपी जांचने वाला समझ पाता है. अगर वो
समझेगा तो पास करेगा, वरना फेल कर देगा.
बहुत ज्यादा ज्ञान दिखाने से भी नुकसान हो सकता है. सवालों के जवाब to the
point रखें, बिना वजह बात को भटकाएं नहीं. स्पेलिंग की गलतियां कतई नहीं
होनी चाहिए.
सवाल को सही से समझें
जिन लोगों को अंग्रेजी समझने में
बहुत दिक्कत नहीं है, उनके लिए एक सलाह
ये है कि हिंदी में सवाल पढ़ने के बाद उसे इंग्लिश में भी एक बार पढ़ लें. ज्यादा
से ज्यादा 10 सेकेंड अधिक लगेगा, लेकिन
प्रश्न सही-सही समझने में इससे आसानी होगी. क्योंकि पेपर में बेहद सरकारी हिंदी
में सवाल पूछे जाते हैं.
बरगलाने की कोशिश न करें
सवाल का जवाब आता है तो अच्छी बात है.
थोड़ा-बहुत जवाब आता है तो थोड़ा-बहुत ही लिखें. लेकिन ऐसा कतई न करें कि जवाब ही
नहीं आता और आपने कुछ भी अंट-शंट लिख डाला.
खुद को बेवकूफ न समझें
ये सबसे ज्यादा जरूरी बात है,
क्योंकि हम में से कई लोग गांव-देहात या
छोटे शहरों से आते हैं. लखनऊ, दिल्ली
जैसे सेंटरों पर रिटेन टेस्ट से पहले जो माहौल होता है उससे आधा कॉन्फिडेंस हिल
जाता है. माहौल से प्रभावित न हों, सिर
झुकाकर इम्तिहान देने जाएं और चुपचाप बाहर आ जाएं. एग्जाम सेंटर पर जिन लोगों की
वजह से बड़ी चमक-दमक होती है, उनमें से
कोई आपको IIMC में नहीं मिलेगा.
1 comment:
Akhiri line sabse sahi.... mujhe bhi koinahin mila unme se koi .
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