राजीव रंजन हिन्दी पत्रकारिता विभाग के 1994-95 बैच के छात्र रहे हैं. राजीव एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार हैं और रक्षा मामलों पर कई शानदार रिपोर्ट्स के लिए जाने जाते हैं. |
कुछ सुझाव है आईआईएमसी में एडमिशन के
इच्छुक स्टुडेंट के लिये.
सबसे पहला काम ये करना चाहिए कि
पिछले तीन चार महीने का अखबार जमकर पढ़ लें क्योंकि ज्यादातर सवाल इसी से आते हैं.
अगर आप गौर से अलग अलग लेख और खबर पढेंगे तो हो सकता है कि उन मुद्दों पर आप में
खुद भी एक नजरिया विकसित हो जाए.
अखबार पढ़ते वक्त खबर के साथ
संपादकीय पेज जरुर पढें. हां केवल पढ़े ही नही लिखने की भी प्रैक्टिस जरुर करें. हिन्दी
अखबार के साथ अंग्रेजी अखबार जरुर पढ़ें और ट्रांसलेशन की प्रैक्टिस भी करें. अगर
आप हिन्दी के पत्रकार हैं तो ये मत समझिए कि आपकी अंग्रेजी अच्छी होनी जरुरी नही
है. मेरे ख्याल से आपकी अंग्रेजी जितनी अच्छी होगी, उतना ही आपका कैरियर बेहतर
होगा. हां लाइन बाई लाइन ट्रांसलेशन की जरुरत नही है, उसका मतलब समझकर अपने शब्दों
में लिख लें.
जबाब लिखने वक्त जितना हो सकें भारी
भरकम शब्दों से बचें. आम बोलचाल की भाषा का इस्तेमाल करें. अखबार से लेकर चैनल तक
में आज ऐसी भाषा को प्राथमिकता दी जाती है जो सरल हो. भाषा में पैनापन लाने के
लिये साहित्यिक पत्रिका मसलन आजकल, हंस जैसे मैगजीन
पढ़ें. कोशिश करें कि जबाब कम शब्दों में और बेहतर हो व साथ में ज्यादा कॉपी भरने
से बचें. लेकिन जो कुछ लिखें उसमें तथ्य और अलग-अलग विचार की गहराई भी होनी चाहिए.
केवल लच्छेदार और सरल भाषा से काम नही चलेगा.
खबर में हेंडिंग लिखते वक्त इस बात
का ध्यान रखे वो छोटा होने के साथ सारगर्भित हो. कोशिश करें कि आपकी रिपोर्ट छोटे
या बड़े अखबार में छपे. अगर ये नही होता है तो संपादक के नाम पत्र भी आपके नाम से
छपें. इससे जब इंटरव्यू होता है तो कुछ फायदा मिलता है.
हो सकता है कि आपसे पूछा जाए आपके
पसंदीदा रिपोर्टर या चैनल या अखबार कौन से हैं और क्यों. आपको इस बात का पता होना
चाहिए कि फलां रिपोर्टर या चैनल की खासियत क्या है. उसके प्लस या नेगेटिव प्वाइंट
क्या हैं.
अभी-अभी चुनाव खत्म हुआ है. मानकर चलिए
कि इससे जुड़े सवाल जरुर पूछे जायेंगे. मसलन चुनाव में मीडिया की भूमिका कितनी
असरदार रही. सोशल मीडिया का इस्तेमाल कितना अहम रहा.
शुभकामनाएं.
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