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Saturday, May 24, 2014

खुद को ‘कंप्लीट’ बनाइए, आईआईएमसी आइए !

प्रवीन मोहता हिंदी जर्नलिज्म 2004-05 बैच के स्टूडेंट हैं. फिलहाल नवभारत टाइम्स के लिए बतौर सीनियर कॉरस्पॉन्डेंट कानपुर में तैनाती.


जो खबरों की दुनिया के दीवाने हैं, आईआईएमसी उनके लिए एक ख्वाब होता है. जबर्दस्त कॉम्पिटिशन के दौर में आगे सिर्फ वे ही आ पाते हैं, जो खुद को एक कंप्लीट पैकेज बना लेते हैं. यहां कंप्लीट पैकेज से मतलब है, पूरी नॉलेज. सिर्फ किताबी ही नहीं, वेब वर्ल्ड और बाकी दुनिया से भी. अगर आप इन चीजों को अपनाने के लिए तैयार हैं, तो इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन आपका स्वागत करेगा. ये टिप्स खासकर हिंदी बेल्ट के उन स्टूडेंट्स के लिए हैं, जो खुद में एज की कमी मानते हैं.

इंग्लिश सबसे जरूरी: यूपी-बिहार के स्टूडेंट्स हिंदी में तो बेहद होशियार होते हैं, लेकिन इस दुनिया में आगे बढ़ने का हथियार इंग्लिश है. जरूरी नहीं कि आप इंग्लिश के प्रकांड पंडित हों, लेकिन नॉर्मल इंग्लिश तो आईआईएमसी भी मांगता है. इंग्लिश न्यूजपेपर्स पढ़िए, इंग्लिश न्यूज चैनल देखिए. कुछ न समझ आए तो डिक्शनरी की मदद लीजिए. इंग्लिश में 200-300 शब्द ऐसे हैं, जिनका रुटीन लाइफ में खूब यूज होता है. इन्हें रट लीजिए. अखबारों में छपी इंग्लिश खबरों को ट्रांसलेट करिए, फिर इसे हिंदी अखबारों से चेक करिए. कमियां खुद ब खुद पता चल जाएंगी. जरूरी बात, इंग्लिश हौव्वा नहीं है. ध्यान रहे, आईआईएमसी एंट्रेंस में 15 मार्क्स का एक अंग्रेजी टू हिन्दी अनुवाद भी आता है.

अखबार पढ़ें, टीवी देखें: पत्रकार बनने की न्यूनतम शर्त है, खबरों की जानकारी. अगर आपको देश-दुनिया की टॉप-10 खबरों के बारे में पूरी जानकारी नहीं है तो खुद को फिर से री-बूट करिए. खबरों के लिए अखबार है. ज्यादा डिटेल के लिए मैगजीन पढ़िए. टीवी भी देखिए. दुनिया कितनी क्रिएटिव है, अगर ये जानना है तो एड देखना न भूलें. अखबार पढ़ना कभी भी आपको बोझ न लगें. गर्मी में जितना मजा कोल्ड ड्रिंक पीने में आता है, उतना ही अखबार पढ़ने में आना चाहिए.

चुनाव अभी-अभी निपटे हैं. लिहाजा इस बारे में सब कुछ पता होना चाहिए. पार्टियों के वोट पर्सेंटेज, सीटें, हारे-जीते प्रमुख नेताओं के नाम, हार-जीत के फैक्टर, कांग्रेस-बीजेपी के कैंपेन की खास बातें तो आपकी जुबान पर होनी चाहिए. रिटेन एग्जाम और इंटरव्यू के आसपास हुई घटनाओं पर आपकी कड़ी नजर होनी चाहिए. इस बार एग्जाम में सबसे ज्यादा सवाल चुनाव से ही आने की उम्मीद है.

अपने राजनीतिक विचार रखें किनारे: प्लीज बुरा न मानें, लेकिन हिंदी बेल्ट के स्टूडेंट्स राजनीतिक रूप से कुछ ज्यादा ही एक्टिव होते हैं. ऐसा होना कोई गलत बात नहीं है, लेकिन हर चीज तर्कसंगत होनी चाहिए. अगर आपके सामने सवाल आए कि गवर्नर का बैकग्राउंड पॉलिटिकल हो या नॉन-पॉलिटिकल तो एक बार सोचें. किसी पार्टी लाइन या इमोशन में न बंधे. तर्को पर अपनी बात रखें. एग्जाम, इंटरव्यू और जीडी में इसी तरह के सवाल आपसे बार-बार पूछे जाएंगे. मुझसे भी इंटरव्यू में ऐसा ही एक सवाल पूछा गया था. याद रखें, आईआईएमसी को बढ़िया जर्नलिस्ट तैयार करने हैं, किसी पार्टी के कार्यकर्ता नहीं. आपकी राय अपनी और बढ़िया तर्कों से भरी होनी चाहिए.

स्टेटस-ट्वीट जानते हैं आप: वो जमाना बहुत मुश्किल था, जब पत्रकारों को छोटी-छोटी चीजों के लिए मोटी-मोटी किताबें देखनी पढ़ती थीं. अब सब कुछ बदल गया. गूगल सर्च, फेसबुक और ट्विटर मोबाइल पर हैं. हर पल की बात ट्वीट की जाती है. इन चीजों से दूरी अच्छी बात नहीं है. साफ शब्दों में कहें तो ईमेल, फेसबुक, ट्विटर आपकी डेली लाइफ का हिस्सा होना चाहिए. अगर आप इंटरनेट के दीवाने नहीं हैं, तो तुरंत इससे प्यार करना शुरू कर दीजिए. आप दुनिया से कदमताल करने लगेंगे. हां, कंप्यूटर आपका पक्का दोस्त होना चाहिए.

सीधी बात, नो बकवास: एंट्रेंस एग्जाम में लॉन्ग से शॉर्ट तक सब तरह के सवाल आते हैं. कुछ शख्सियतों के बारे में तो 2-3 वाक्यों में सब बताना होता है. आपको पूरा पेपर सॉल्व करना है, इसलिए पेपर में दिए गए निर्देशों के मुताबिक ही जवाब दें. इन सवालों के जवाब ही आपको इंटरव्यू-जीडी के लिए शॉर्टलिस्ट कराते हैं. 100 मार्क्स के पेपर में 85 मार्क्स रिटेन से ही है.


ऑल द बेस्ट !

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