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Sunday, May 5, 2013

यह दिमाग की नहीं, दिल की लड़ाई है

हिमांशु सिंह- इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद 2010-11 में हिंदी पत्रकारिता पहुंचे, दो साल तक भाषा में सेवा के बाद अब भारतीय सूचना सेवा में अधिकारी.
अंशु सचदेवा- 2010-11 में हिंदी पत्रकारिता के बाद राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय. समाज सेवा के अलावा स्वतंत्र लेखन के जरिए विकास पत्रकारिता में मौजूदगी.

पत्रकार बनने का सपना पूरा करने के लिए आई.आई.एम.सी. में आने की तमन्ना रखने वालों की संख्या हजारों में है पर यहां दाखिला पाने वालों की संख्या तो निश्चित ही है. एक-दो महीने की योजनाबद्ध तैयारी, समय प्रबंधन और विभिन्न मुद्दों पर जानकारी आपको पहली श्रेणी वाले लोगों में से दूसरी श्रेणी में ला सकती है.

कुछ प्रतिभागी इस संस्थान की प्रवेश परीक्षा के लिए कोचिंग आदि का सहारा लेते हैं जिसकी कतई जरूरत नहीं है. पिछले सालों के प्रश्नपत्र इस ब्लॉग पर उपलब्ध हैं. उनको देखकर आप आसानी से परीक्षा के स्वरुप का अंदाजा लगा सकते हैं.

खास तौर पर पत्रकारिता के पाठ्यक्रम में प्रवेश पाने की इच्छा रखने वालों को कम समय में ज्यादा लिखने की आदत डाल लेनी चाहिए. शुरुआती प्रश्नों में प्रमुख मुद्दों पर टिप्पणी या लेख लिखने संबंधी सवाल पूछे जाते हैं. इसके लिए आपको परीक्षा की तिथि से पांच-छह महीने पहले के प्रमुख मुद्दों पर अपनी जानकारी दुरुस्त रखनी चाहिए. साथ ही साथ यह भी जरूरी है कि उन मुद्दों पर आप स्पष्ट राय रखते हों.

हमारे समय में “महिला आरक्षण”, “बी.टी. बैंगन”, “आई.पी.एल.” जैसे मुद्दों पर टिप्पणी मांगी गई थी. अपने जवाब में तर्कों के माध्यम से राय रखें जिसके लिए जरूरी है कि आप प्रमुख घटनाओं के संबंध में टीवी पर टॉक शो, पत्र-पत्रिकाओं में छप रहे लेखों पर नज़र रखें. हिंदी पत्रकारिता के छात्रों के लिए जनसत्ता के संपादकीय बेहद उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं.

टिप्पणी वाले सवालों के बाद बारी आती है ऐसे सवालों की जिसमें आपके सामान्य ज्ञान की जांच की जाती है. इसमें करीब 10 शख्सियत, स्थान या संस्थानों के नाम पूछे जाते हैं और आपको बताना होता है कि पिछले कुछ दिनों में वे क्यों खबरों में रहे? इसके लिए भी गुरुमंत्र यही है कि टीवी और अखबारों में चल रही खबरों पर नज़र बनाये रखें.

इस सवाल के बाद वह हिस्सा जो हिंदी पत्रकारिता के छात्रों के लिए सबसे अहम माना जाता है- अनुवाद. इसमें अंग्रेजी में लिखे एक पैराग्राफ का अनुवाद हिंदी में करना होता है. अनुवाद में आपसे अपेक्षा यह रखी जाती है कि आप शब्द दर शब्द अनुवाद न कर अंग्रेजी में दी गई सामग्री को भाव रूप में हिन्दी में लिखें.

इतने सवालों के बाद प्रतियोगी का भाषा ज्ञान जांचने के लिए आखिरी सवाल पूछा जाता है जिसमें भाषा की त्रुटियों को अंकित कर उन्हें सही रूप में लिखना होता है. उदाहरण के तौर पर– “बाघों की जनसंख्या कम होती जा रही है. इस वाक्य को सही रूप में लिखने को कहा जा सकता है.

परीक्षा के स्वरुप को जानने के बावजूद कुछ प्रतिभागी परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाते. कारण है खराब समय प्रबंधन. पिछले प्रश्न पत्रों को निश्चित अवधि और निर्धारित शब्द सीमा में हल करने का अभ्यास करें और करते रहें. टिप्पणी और लेख संबंधी सवालों में अपनी दिल की बात रखें. वैसे भी कुछ लड़ाइयां दिमाग से नहीं दिल से जीती जाती हैं..यह परीक्षा भी उनमें से ही एक है.

शुभकामनाएं.

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