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Thursday, May 9, 2013

टू द प्वाइंट लिखने की आदत डालिए

सौम्या झा हिंदी पत्रकारिता विभाग के 2007-08 बैच से हैं. सकाल टाइम्स ग्रुप के साम टीवी से करियर की शुरुआत. पिछले चार सालों से सामुदायिक रेडियो के क्षेत्र में सक्रिय हैं. फिलहाल गुडगांव की आवाज़ की स्टेशन मेनेजर हैं.
सौम्या आईआईएमसी एलुम्नाई एसोसिएशन की केंद्रीय समिति सदस्य हैं.
हमारी जमात में आप शामिल होने आ रहे हैं. आप सभी को बधाई लेकिन सही मायने में आप बधाई के पात्र  तभी होंगे जब पत्रकारिता करते हुए खुद को अच्छा लगेगा. आप में से  कुछ ने तो ऐसे ही फॉर्म भर दिया होगा, कुछ ने माता-पिता के कहने पर और कुछ ने दिल की सुनी होगी कि कुछ करना है. जिन्होंने दिल की सुनी. उनके लिए कहना चाहूंगी कि कोई भी कोर्स आपको संस्थान का ठप्पा दे सकता है पत्रकारिता का मुहर नहीं. यहां से पास करने पर और पढ़ने के दौरान हवा में मत  उड़ियेगा, पांव ज़मीन पर रखिये क्योंकि यहां से अभी लम्बा सफ़र तय करना है. मीडिया का बाज़ार चकाचौंध कर देता है. टीवी पर दिखने वाले लोग, रेडियो पर सुनाई देने वाली आवाज़, अख़बार में छपने वाला लेखक आपका रोल मॉडल हो सकता है मगर उसे मंजिल समझने की भूल मत कीजिये.
आप यहां ब्यूटी कांटेस्ट का हिस्सा बनने नहीं आये हैं
शुरू के दिनों में ही संघर्ष करना ज्यादा अच्छा रहेगा और उस संघर्ष से आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा
भीड़ से हट कर सोचिए, भीड़ आपके पीछे होगी
सीनियर हूं, थोडी अड़ियल और थोड़ा अनुभव भी है, इसलिए थोड़ा ज्ञान दे दिया.

अब हो जाए थोड़े काम की बात
- बातों को घूमा फिरा कर कहने की बजाए टू द प्वाइंट लिखने की आदत डालिए.
- शब्द सीधे और सरल हों तो बेहतर है. साहित्यिक भाषा से थोड़ा बचिए. अखबार को अपना दोस्त बनाइए.
- किसी भी विचार को अपने शब्दों में लिखिए. कोशिश करिए कि किसी मुद्दे पर विचार आपके हों, किसी लेखक के नहीं, वह भी तर्क के साथ.
- मुद्दा कोई हो, उसकी तह तक जाइए. बहुत सी बातें खुद ब खुद पता चलने लगेंगी.
- समय सिर्फ ढाई घंटे का होगा इसलिए स्कोर भी करना पड़ेगा. एक सवाल पर अटकने की बजाए बाकी प्रश्नों को निपटाएं.
- तैयारी के दौरान ऐसे लोग भी मिलेंगे जो आपके साथ तैयारी में लगे होंगे और अपनी बुद्घि का दिखावा करेंगे कि उन्हें सब पता है कि किस चैनल का हेड कौन है, कौन अखबार किस ग्रुप का है आदि. उनसे घबराइए नहीं कि उन्हें सब आता है. इत्मीनान रखिए कि पत्रकारिता संसार का अनुभव उन्हें भी नहीं पता.
तो बस यही सब है. अंत में सिर्फ इतना कहूंगी, यही परीक्षा अंतिम नहीं है, दुनिया यहीं आकर खत्म नहीं होती.

शुभकामनाएं
सौम्या झा

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